भारतीय रिज़र्व बैंक के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंक लाभ को अधिकतम करने में अधिक कुशल हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है. हाल के वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बाज़ार का अधिक विश्वास हासिल किया है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के झटके को बहुत अच्छी तरह से झेला है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की मंशा जताई थी. सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज़ बैंक के निजीकरण की सिफ़ारिश की है.
बैंक कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हड़ताल कर रहे हैं. हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों ख़ासकर एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और कोटक महिंद्रा आदि बैंकों में कामकाज सामान्य दिनों की तरह जारी रहा.
बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र सरकार के कथित क़दम का विरोध करते हुए 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिए विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ ने सरकार से बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को वापस लेने की अपील की, जो संसद के शीतकालीन सत्र में पेश और पारित करने के लिए सूचीबद्ध है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी महीने की शुरुआत में बजट पेश करते हुए सरकार की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था. इसके ख़िलाफ़ नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया था.
सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की सरकार की घोषणा के ख़िलाफ़ दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से किया गया है. निजी क्षेत्र के बैंक इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
आरबीआई द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह ने पिछले सप्ताह सिफ़ारिश की थी कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है. रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने कहा है कि भारत में बड़ी कंपनियों के पिछले कुछ साल में क़र्ज़ लौटाने को लेकर चूक देखते हुए हमें बैंकों में कॉरपोरेट क्षेत्र को स्वामित्व देने की अनुमति को लेकर संदेह है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने से समस्या ख़त्म हो जाएगी, ऐसा सोचना अज्ञानता के अलावा कुछ नहीं है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पीएनबी घोटाले के बाद काफ़ी लोगों ने निजीकरण की बात शुरू कर दी है. भारत में बैंकों के निजीकरण को राजनीतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.