असम में विपक्षी दलों, छात्रों और अन्य संगठनों ने सीएए के ख़िलाफ़ तीव्र विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, पर यदि कोई राजनीतिक दल हाईकोर्ट के बंद पर रोक के आदेश की अवहेलना करता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है.
बीते दिनों उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी कि उपद्रव में क्षतिग्रस्त हुईं संपत्तियों के नुकसान की भरपाई उपद्रव में शामिल लोगों से वसूली करके की जाएगी. अब राज्य सरकार ‘उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ लाने जा रही है.
कश्मीर के बाहर के एक छात्र द्वारा पैगंबर पर किए सोशल मीडिया पोस्ट के ख़िलाफ़ विरोध बढ़ने के बीच एनआईटी, श्रीनगर ने शीतकालीन छुट्टियों की घोषणा करते हुए छात्रों से हॉस्टल छोड़ने को कहा है. वहीं, घाटी के कॉलेजों में ऑफलाइन कक्षाएं निलंबित करते हुए ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का निर्देश दिया गया है.
किसानों यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और महासंघों के संयुक्त मंच ने 26 नवंबर से देशव्यापी तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. किसानों का कहना है कि उनके द्वारा तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों को रद्द कराए हुए तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन उस समय की उनकी कई मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं.
पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले भारती किसान यूनियन (दोआबा) के नेतृत्व में सैकड़ों किसान 20 नवंबर से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन पर हैं. वे गन्ने की फसल के लिए ख़रीद मूल्य 380 रुपये से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं.
तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा सिंह को पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए पिछले साल अगस्त में पार्टी ने निलंबित कर दिया था. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को होंगे और सिंह, जिनके ख़िलाफ़ 100 से अधिक आपराधिक मामले हैं, एक बार फिर गोशामहल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे.
गुजरात सरकार ने हाल ही में गुजरात कॉमन यूनिवर्सिटीज़ बिल के मसौदे की घोषणा की है, जिसे अगले महीने विधानसभा में पेश किया जा सकता है. इसे शिक्षा का 'सरकारीकरण' और स्वायत्तता को ख़तरा क़रार देते हुए छात्रों और शिक्षक संघ इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने 29 युवकों की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है. एसटी/एससी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इन युवकों ने कथित फ़र्ज़ी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरियों में भर्ती पर राज्य की निष्क्रियता के ख़िलाफ़ विधानसभा के पास नग्न प्रदर्शन किया था.
रामगढ़ ज़िले में एक सरकारी स्कूल में बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से 2014 के नोबेल शांति पुरस्कार की विजेता और पाकिस्तान की समाजसेवी मलाला यूसुफ़ज़ई की तस्वीर वाले पोस्टर से लगाए गए थे. हालांकि, ग्रामीणों ने इसका यह कहकर विरोध किया कि उन्हें किसी पाकिस्तानी से सीखने की ज़रूरत नहीं है.
पुलिस ने कहा कि आईआईटी मद्रास में पिछले तीन महीने के दौरान यह इस तरह की चौथी घटना है. 31 मार्च को यहां से पढ़ाई कर रहे एक पीएचडी छात्र ने, 14 मार्च को आंध्र प्रदेश के एक छात्र ने और 13 फरवरी को स्नातकोत्तर के एक छात्र ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.
इज़रायल सरकार ने बीते जनवरी में न्यायपालिका में सुधार की योजना का ऐलान किया था. न्यायिक सुधार सरकार को जजों का चयन करने का अधिकार देंगे और क़ानूनों को ख़त्म करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को सीमित कर देंगे. इसके ख़िलाफ़ इज़रायल में प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है.
कोच्चि के ब्रह्मपुरम में कचरे में ग्यारह दिनों से लगी आग से निकलने वाले ज़हरीले धुएं से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है. नतीजतन, स्थानीय लोगों ने शहर छोड़कर जाना शुरू कर दिया है. नागरिक प्रशासन की निष्क्रियता के विरोध में विभिन्न तरीकों से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
60 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की को बेलारूस की एक अदालत ने 2020 के विरोध प्रदर्शनों और अन्य अपराधों के वित्तपोषण के लिए 10 साल सज़ा सुनाई है. वह लंबे समय से राष्ट्रपति रहे अलेक्जेंडर लुकाशेंको के 2020 में फिर से चुने जाने के बाद बेलारूस के हुए विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में रहे थे.
जेएनयू के नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.
बीते 13 फरवरी को आईआईटी मद्रास में महाराष्ट्र के 27 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर ने आत्महत्या कर ली. उसी दिन कैंपस में एक अन्य छात्र ने अपनी जान लेने की, जिसे बचा लिया गया. इन घटनाओं के बाद परिसर में विरोध की एक नई लहर शुरू हो गई है. छात्रों का कहना है कि आत्महत्याओं को रोकने के लिए प्रबंधन द्वारा बहुत कम प्रयास किया गया है.