कृषि मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि किसान क़र्ज़ माफ़ी के हकदार हैं. इससे निश्चित तौर पर किसानों को राहत मिली है लेकिन यह थोड़ी ही है, किसानों के लिए देश में बहुत कुछ और करने की आवश्यकता है.
सरकार सरकारी बैंकों में एक लाख करोड़ रुपये क्यों डाल रही है? किसान का लोन माफ़ करने पर कहा जाता है कि फिर कोई लोन नहीं चुकाएगा. यही बात उद्योगपतियों के लिए क्यों नहीं कही जाती?
ये वो लोग हैं जिन पर बैंक का 25 लाख रुपये या उससे अधिक का क़र्ज़ बकाया है और क्षमता होने के बावजूद उन्होंने इसे नहीं चुकाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फरवरी 2018 में जारी एक सर्कुलर उसके और नरेंद्र मोदी सरकार के बीच तकरार की वजह बन गया है. जिसमें कहा गया है कि सभी बड़े कॉरपोरेट समूह, जो बैंकों से लिए गए ऋण की पुनअर्दायगी करने में नाकाम रहते हैं, उन्हें 1 अक्टूबर, 2018 से दिवालिया घोषित किए जाने की प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा.
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 21 में से 19 सार्वजनिक बैंकों को घाटा हुआ. बैंकों का औसत एनपीए 14.5 प्रतिशत तक बढ़ा है. आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक का एनपीए 25 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया.
जन गण मन की बात की 227वीं कड़ी में विनोद दुआ देश के कई राज्यों में नकदी की समस्या और भाजपा नेताओं द्वारा एनपीए को लेकर किए गए दावे पर चर्चा कर रहे हैं.
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत अन्य सरकारी बैंक एनपीए और गलत ढंग से दिए गए ऋण की भरपाई के चलते पिछले दो वित्त वर्षों से घाटे में चल रहे हैं.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि एनपीए में करीब 77 प्रतिशत हिस्सेदारी शीर्ष औद्योगिक घरानों के पास फंसे क़र्ज़ का है.