आख़िर क्यों स्थानीय कश्मीरी, जो अपेक्षाकृत रूप से पढ़े-लिखे और संपन्न हैं, इस तरह अपनी जान दांव पर लगाने को तैयार हो जाते हैं?
लोकसभा में सरकार द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार बीते चार सालों से अधिक समय में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों की घटनाओं में 177 फीसदी से अधिक का इज़ाफा हुआ है. साल 2014 में राज्य में आतंकवाद की 222 घटनाएं हुई थीं जबकि 2018 में यह संख्या 614 रही.
अलीगढ़ पुलिस ने बसीम हिलाल के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बिलाल बीएससी कर रहा है.
एहतियात के तौर पर श्रीनगर में डेटा स्पीड को घटाकर 2जी स्तर का कर दिया गया. गुरुवार को पुलवामा ज़िले में हुए फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के तकरीबन 40 जवान शहीद हो गए थे.
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एडवाइज़री जारी करते हुए कहा था है कि आतंकवाद के चलते पाकिस्तान जाने से पहले दोबारा सोचें अमेरिकी नागरिक.
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि टीवी चैनल कोई भी ऐसी सामग्री प्रसारित ना करें जो हिंसा को भड़का सकती है या क़ानून एवं व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हम हाईवे पर घूम रही विस्फोटकों से भरी गाड़ी की पहचान कर पाने में विफल रहे. हमें यह बात स्वीकार करनी होगी कि हमसे भी गलती हुई है.
अधिकारियों का कहना है कि यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है. आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है. इस हमले में लगभग 350 किलो विस्फोटक इस्तेमाल हुआ था.
अधिकारियों ने इस हमले को 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला बताया है. धमाका पुलवामा ज़िले के श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर अवंतिपुरा इलाके में हुआ. बढ़ सकती है मरने वालों की संख्या.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने एक संदिग्ध आतंकवादी के परिजनों के साथ पुलिस हिरासत में कथित तौर पर हुई मारपीट पर नाराज़गी जताते हुए राज्यपाल से घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अपील की है.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले में 15 दिसंबर को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान सात आम नागरिकों की मौत हो गई थी. इस मुठभेड़ में सेना से भागकर आतंकी बने ज़हूर अहमद ठोकर समेत तीन आतंकी मारे गए थे.
सैन्य उपलब्धियों का चुनाव में इस्तेमाल करना न तो असामान्य है और न ही ग़लत, लेकिन सवाल उठता है कि एक मामूली रणनीतिक कार्रवाई को एक बड़ी सैन्य जीत के तौर पर पेश करना कितना सही है.
आतंकी संगठन आईएस ने बीते रविवार को जम्मू कश्मीर में फ़ारूक़ अहमद यातू नाम के एक पुलिसकर्मी की हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी.