पारुल विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कार्यक्रम में शामिल अफ्रीकी छात्रों के साथ नस्लीय भेदभाव और हमले की इस घटना ने एक्सचेंज कार्यक्रमों के तहत गुजरात आने वाले विदेशी छात्रों को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं. इस विश्वविद्यालय का पहले भी विवादों का इतिहास रहा है.
विशेष: पॉल रॉबसन पिछली सदी के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सांस्कृतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. विश्व शांति की अग्रणी और मानवाधिकारों की मुखर आवाज़ रॉबसन ने अफ़्रीकी-अमेरिकी अश्वेतों के साथ होने वाले नस्ल-भेद के ख़िलाफ़ अनथक संघर्ष किया था.
पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. यह फैसला ऐसे वक़्त में आया है, जब करीब एक साल की चुप्पी के बाद चॉविन ने फ्लॉयड के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की और उम्मीद जताई कि आख़िरकार अब उनके मन को कुछ शांति मिलेगी.
पिछले साल 25 मई को अमेरिका के मिनियापोलिस में अश्वेत अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत उनके गले को श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक चॉविन द्वारा तक़रीबन नौ मिनट तक घुटने से दबाने के कारण मौत हो गई थी. इस दौरान फ्लॉयड बार-बार कहते रहे थे कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माना. फ्लॉयड की निर्मम मौत से देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
मामला पूर्वी बर्दवान जिले के एक स्कूल का है, जहां प्री-प्राइमरी की अंग्रेजी वर्णमाला की किताब में यू अक्षर को समझाने के लिए अग्ली यानी बदसूरत शब्द का इस्तेमाल किया गया है, साथ ही इस शब्द के सामने अश्वेत शख़्स का चित्र छपा है.
पुलिस की बर्बरता से हम सभी को फ़र्क़ पड़ना चाहिए, भले ही निजी तौर पर हमारे साथ ऐसा न हुआ हो. ये हमारी व्यवस्था का ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे बदलना चाहिए और पूरी ताक़त से मिलकर ज़ाहिर की गई जनभावना ही ऐसा कर सकती है.
जब विरोध होता है तो व्यवस्था की ओर से उपदेश दिया जाता है कि संवाद की स्थितियां बनानी चाहिए. यह बोझ भी प्रदर्शनकारियों पर ही डाल दिया जाता है कि वे संवाद कायम करें. क्या शोषण तर्क और संवाद के सहारे चलता है? विरोध से अराजकता फैलने का आरोप लगाते समय लोग भूल जाते हैं कि जो विरोध करने को बाध्य हुए हैं, उनके जीवन में अराजकता के अलावा शायद ही कुछ है.
वीडियो: बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
बीती 25 मई को अमेरिका के मिनीपोलिस में एक पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गले को घुटनों से कई मिनट तक दबाए रखा था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से नस्लभेद के ख़िलाफ़ अमेरिका सहित विभिन्न देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
इससे पहले बीते मार्च महीने में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की पढ़ाई कर रहीं मणिपुर की ही छात्रा को ‘कोरोना’ कहकर उन पर थूका गया था. इसके बाद अप्रैल महीने में मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक बाइक सवार मणिपुर की ही युवती पर थूककर भाग निकला था.
अमेरिकी इतिहास से जुड़ा एक पन्ना बताता है कि मीडिया और बुद्धिजीवियों के एक वर्ग द्वारा समर्थित जातिवादी और सांप्रदायिक ज़हर लंबे समय से राजनीति का खाद-पानी है.
यह घटना रविवार रात मुखर्जी नगर के विजय नगर इलाके में हुई थी. आरोपी की पहचान 40 वर्षीय गौरव वोहरा के रूप में हुई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल कर रही हैं छात्रा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस से आरोपी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को कहा.
छात्रों का आरोप है कि पिछले साल शुरू हुई शुद्ध शाकाहारी मेस की मांग अब पूरी तरह छुआछूत में बदल गई है.
नोएडा में अफ्रीकी छात्रों पर हमले की रिपोर्टिंग के दौरान जब हम एक छात्र जेसन से मिले तो उन्होंने बताया कि पड़ोस की महिला बच्चों को डराने के लिए उनका नाम लेती हैं. वो हैरान थे कि वह किसी को डराने की चीज़ कैसे हो सकते हैं. मतलब मां-बाप ट्रेनिंग दे रहे होते हैं कि वो काला है, वो तुम्हें नुकसान पहुंचाएगा.