2014 के बाद हिंसा जैसे इस समाज के पोर-पोर से फूटकर बह रही है. कहना होगा कि भारत के हिंदू समुदाय में हिंसा का भाव और दूसरे समुदायों से घृणा बढ़ी है. ग़ैर-हिंदू समुदायों में हिंदू विरोधी घृणा के प्रचार के उदाहरण नहीं मिलते हैं. यह घृणा और हिंसा एकतरफा है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मौउजो के पास वह क्षमता है जो उन्हें तात्कालिक बात से आगे देखने का मौक़ा देती है, जिसने उन्हें इस बात के लिए भी प्रेरित किया है कि वह ताउम्र महज़ कलम और कागज़ तक अपने को सीमित न रखें बल्कि सामाजिक-राजनीतिक तौर पर अहम मुद्दों पर भी बोलें, यहां तक कि समाज में पनप रहे दक्षिणपंथी विचारों, उनकी डरावनी हरकत के बारे में भी मौन न रहें.
भारत में एक नया रैडिकलाइजेशन शक्ल ले चुका है. इसे रोज़मर्रा का आतंकवाद कह सकते हैं. इसकी ख़ासियत यह है कि इसे ‘इस्लामी आतंकवाद’ से ठीक उलट हिंदुओं में व्यापक समर्थन प्राप्त है.