आज सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या किसी चीज़ का कोई तर्क बचा है? क्या यह इसलिए है कि सरकार निश्चिंत है कि उसके फैसलों की तर्कहीनता की हिमाकत पर उसकी जनता मर मिटने को तैयार बैठी है?
यात्रियों को एयरपोर्ट में प्रवेश करने से पहले थर्मल जांच से गुजरना अनिवार्य होगा और उन्हें अपने सामान को सैनिटाइज करना होगा. सरकार ने 25 मई से चरणबद्ध तरीके से देश में विमान सेवाएं शुरू करने की घोषणा की है.
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच देश में 25 मार्च से सभी व्यावसायिक यात्री उड़ानें निलंबित हैं.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ड्राइवरों और क्लीनर्स द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने, सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करने संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कुछ एयरलाइनों ने खुद से ही चार मई से बुकिंग शुरू करने का फैसला किया है और इस बारे में उन्होंने नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बात की है, जिन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने अभी ऐसा कोई फैसला नहीं किया है.
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2017 के बीच रेल की पटरियों पर ट्रेन की चपेट में आने के चलते 49,790 लोगों ने जान गंवाई. रेलवे इन मौतों की कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता और ऐसे व्यक्तियों को 'ट्रेसपासर' यानी अतिक्रमण करने वाला मानता है.
रेल मंत्री के ट्विटर हैंडल पर जाकर देखिए. वे उन्हीं ट्वीट को रिट्वीट करते हैं जिसमें यात्री तारीफ़ करते हैं. मगर सैकड़ों की संख्या में छात्र परीक्षा केंद्र को लेकर शिकायत कर रहे हैं, उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं है.
लक्ज़री ट्रेनों में यात्रा के लिए मुफ़्त में टिकट देने के लिए संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे की खिंचाई की.