ख़बरों के अनुसार, बीते सितंबर में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में अशोक गहलोत की संभावित उम्मीदवारी के बीच राजस्थान में घटे सियासी घटनाक्रम का हवाला देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर कहा है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए.
कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच पार्टी के क़रीब सौ विधायकों ने रविवार देर रात विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफ़ा सौंप दिया. इस घटनाक्रम पर अशोक गहलोत का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, विधायक नाराज़ हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के दोनों पर्यवेक्षकों- मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से राजस्थान के सियासी संकट को लेकर लिखित रिपोर्ट मांगी है. वहीं, माकन ने अशोक गहलोत समर्थक विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक में लिए जाने वाले प्रस्ताव के लिए शर्तें रखने की आलोचना की है.
राजस्थान के मंत्रिमंडल पुनर्गठन में कांग्रेस आलाकमान ने अनुसूचित जाति व जनजाति और महिलाओं को अच्छी संख्या में प्रतिनिधित्व देकर एक प्रयोग करने की कोशिश की है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह कांग्रेस की अपने पुराने और पारंपरिक वोट बैंक की ओर लौटने की छटपटाहट है.
कांग्रेस सरकार अगले महीने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे करने जा रही है और मंत्रिमंडल में यह पहला फेरबदल है, जिसे पार्टी आलाकमान द्वारा क्षेत्रीय व जातीय संतुलन के साथ साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस नेताओं के बीच लीक हुई फोन बातचीत से राजस्थान में पैदा हुए सियासी उठापटक और अवैध फोन टैप के आरोपों के आठ महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दो हफ़्ते पहले फोन टैपिंग की पुष्टि की थी.
जुलाई 2020 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्य के तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा के बीच फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग लीक हुई थी. तब फोन टैपिंग के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि नेताओं के फोन टैप करना उनकी सरकार का तरीका नहीं है.
मध्य प्रदेश की सरकार ने विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के प्रस्ताव पारित करते हुए इसे भारतीय संविधान की मूल भावना का उल्लंघन बताया. इससे पहले केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से इस क़ानून को रद्द करने के साथ एनआरसी को क्रियान्वित करने और एनपीआर को अपडेट करने की योजनाओं को निरस्त करने की भी अपील की गई है. इससे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान में इस विवादास्पद क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र सरकार से इस कानून को रद्द करने का आग्रह किया है. इस दौरान विधानसभा में भाजपा के कई नेताओं ने नागरिकता कानून के पक्ष में नारेबाजी की.
राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. वहीं ऑनर किलिंग के मामलों में फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी.
राजस्थान विधानसभा में ‘राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019’ और ‘वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019’ पेश किया गया. विधेयक में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग को संज्ञेय और ग़ैर-ज़मानती अपराध बनाया गया है.
भाजपा सचेतक ने कहा, ‘जहां विधानसभा है, वहां श्मशान था. मृत बच्चे दफ़नाए जाते थे. हो सकता है कि कोई आत्मा हो, जिसे शांति न मिली हो. इसीलिए सदन में कभी एक साथ 200 विधायक नहीं रहे.’