केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थान के आसपास 67.390 एकड़ ग़ैर-विवादित अधिग्रहित ज़मीन मूल मालिकों को लौटाने की अपील की थी.
केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग किया है कि अयोध्या में विवादित ज़मीन के आसपास जो 67 एकड़ अविवादित ज़मीन है उससे कोर्ट यथास्थिति हटा ले और यह हिस्सा उसके मूल मालिक को वापस कर दे.
अयोध्या में विवादित स्थल के बारे में एक नई रिट याचिका में केंद्र सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत विवादित स्थल के आस-पास अधिग्रहित की गई अविवादित ज़मीन पर से यथास्थिति बरक़रार रखने का आदेश हटा ले, जिससे वह हिस्सा उसके मूल मालिकों को वापस किया जा सके.
भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ ने 29 जनवरी को सुनवाई के लिए ये मामला उठाने का फैसला किया था.
उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री ने नोटिस में कहा कि अयोध्या विवाद मामला गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. पीठ में सीजेआई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर होंगे.
विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि जिस दिन राम मंदिर बन गया उस दिन भाजपा और आरएसएस ख़त्म हो जाएंगे.
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित ने वकील रहते बाबरी मस्जिद से संबंधित एक अवमानना मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ओर से पैरवी की थी. इसके बाद जस्टिस ललित ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया.