क्यों राजनीति ने उर्दू को मुसलमान बना दिया है?

आम जनमानस में उर्दू मुसलमानों की भाषा बना दी गई है, शायद यही वजह है कि रमज़ान की मुबारकबाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उर्दू को चुना. सच यह है कि जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे कई मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उर्दू नहीं बोली जाती.

हनुमान की नई छवि के मायने

हनुमान की यह छवि रचने वाले कलाकार करण आचार्य का कहना है कि उनके हनुमान शक्तिशाली हैं न कि दमनकारी. लेकिन जो इसे गर्व के साथ जोड़कर देख रहे हैं, वे शायद बिल्कुल ऐसा नहीं सोचते.

आप सांप्रदायिकता से लड़िए क्योंकि इसमें आप मारे जाते हैं

सांप्रदायिकता से इसलिए मत लड़िए कि कांग्रेस-बीजेपी करना है. ये पार्टियां या तो चुप रहकर सांप्रदायिकता करती हैं या फिर खुलेआम. इनके आने-जाने से यह लड़ाई कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है.

क्या आधुनिक शिक्षा के पैरोकार सर सैयद अहमद ख़ान औरतों की तालीम के ख़िलाफ़ थे?

सर सैयद का मानना था कि जब मर्द लायक़ हो जाते हैं, तब औरतें भी लायक़ हो जाती हैं. जब तक मर्द लायक़ न हों, औरतें भी लायक़ नहीं हो सकतीं. यही सबब है कि हम कुछ औरतों की तालीम का ख़्याल नहीं करते हैं.

उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान: भारतीय संगीत का संत कबीर

पुण्यतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, 'क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो 'बिस्मिल्लाह' से ही होती है.'

एक के बाद एक भड़काऊ बयान दे रहे श्रीश्री रविशंकर पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

अयोध्या के संबंध में श्रीश्री का यह दावा करना कि अगर अदालत हिंदुत्ववादियों की मांग को ख़ारिज करता है तो हिंदू हिंसा पर उतर आएंगे, इसके ज़रिये वह न केवल क़ानून के राज को चुनौती दे रहे थे बल्कि संवैधानिक सिद्धांतों पर भी सवाल खड़ा कर रहे थे.

वामपंथ से इतनी घृणा क्यों?

सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा कि ‘विदेशी आतंकवादी’ लेनिन की मूर्ति देश में कहीं भी क्यों होनी चाहिए? काश कोई उन्हें बताता कि लेनिन तब से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की प्रेरणा हैं, जब स्वामी की पार्टी के पुरखे अंग्रेज़ों का हुक्का भरने में मगन थे.

भारतीय होने का मतलब ही सेकुलर होना है, ऐसा देश का संविधान कहता है

आजकल सेकुलर (कुछ के लिए सिकुलर) शब्द आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी एजेंट, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे कई शब्दों का पर्याय बन गया है.

क्या नेशनल बुक ट्रस्ट ने पुस्तक मेले के बहाने धर्म के प्रचार-प्रसार का ठेका ले लिया है?

विश्व पुस्तक मेला अब महज़ किताबों की ख़रीद-बिक्री, लेखकों एवं पाठकों का मिलन स्थल ही नहीं रहा बल्कि धर्म के प्रचार का केंद्र भी बन गया है.

क्या भारत की राजनीति ने अपना धर्म चुन लिया है?

कभी हाशिये पर रही हिंदुत्व की राजनीति आज मुख्यधारा की राजनीति बन चुकी है. संघ के लिए इससे बड़ी सफलता भला और क्या हो सकती है कि देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां नरम/गरम हिंदुत्व के नाम पर प्रतिस्पर्धा करने लगें.

साल 2018 में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द संविधान से हटाए बिना ही चलन से बाहर कर दिया जाएगा

नरेंद्र मोदी सरकार कई अहम मोर्चों, मसलन रोज़गार और निवेश पर नाकाम रही है. जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और अब गुजरात में देखा, जब बाकी सारी चीज़ें चुक जाती हैं, तब हिंदुत्व काम आता है.

धर्म की बेलगाम राजनीति रोकी नहीं गई तो हिंदुओं में भी हाफ़िज़ सईद पैदा होंगे: प्रकाश आंबेडकर

बाबा साहब आंबेडकर के पोते ने भाजपा पर साधा निशाना. कहा- यह सरकार दोबारा आई तो हम जो बात कर रहे हैं, यह करने का अधिकार भी छीन लिया जाएगा.

कुछ लोग ख़बरों में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद का बिल्ला दिखाते फिरते हैं: अनुराग कश्यप

फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि आज के समय में राष्ट्रवाद के बिना खेल आधारित बायोपिक फिल्में बनाना असंभव है.

कुछ नालायक नेताओं ने दाढ़ीवालों को यहां रोक दिया इसलिए हम मुसीबत में हैं: भाजपा विधायक

मुज़फ्फरनगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी ने कहा कि देश का नाम हिंदुस्तान है यानी हिंदुओं का देश.