उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले का मामला. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए क़ानून में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है.
कर्नाटक में 'मोरल पुलिस' का काम करने से लेकर उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में दंगे भड़काने तक, 'लव जिहाद' का राग छेड़कर हिंदू दक्षिणपंथियों ने अपने कई उद्देश्य पूरे किए हैं.
अदालतों और केसों के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बेंगलुरु में पिछले पांच साल में आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज 41 केस फिलहाल लंबित पड़े हैं. इनमें वयस्कों को भगाने और शादी करने के मामले हैं. 35 मामले हिंदू युगलों से जुड़े हैं, जबकि छह मामले अंतरधार्मिक हैं. धारा 366 अपहरण कर जबरन शादी करने से संबंधित धारा है.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले के उदयपुर में हिंदू जागरण मंच के सदस्यों ने प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को जाम कर दिया था. संगठन का कहना है कि पुलिस और प्रशासन जबरन धर्म परिवर्तन के ख़तरे को रोकने में विफल रहे हैं और अब केवल क़ानून ही आवश्यक सुरक्षा उपाय प्रदान कर सकता है.
इस अध्यादेश में विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा का प्रावधान किया गया है. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा भाजपा शासित राज्य है, जहां इस संबंध में क़ानून बनाया गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ को मंज़ूरी दी गई. मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य है, जहां लव जिहाद को लेकर इस तरह का क़ानून लाया गया है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मुस्लिम युवा धर्म परिवर्तन के लिए हिंदू लड़कियों से शादी से कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें विदेश से फंड मिल रहा है और लड़कियों से उन्होंने अपनी पहचान छिपा रखी है. इसकी जांच के लिए कानपुर रेंज के आईजी ने एसआईटी का गठन किया था.
जहां एक तरफ कई भाजपा शासित राज्यों की सरकारें 'लव जिहाद' के ख़िलाफ़ अध्यादेश लाने की पूरी तैयारी कर चुकी हैं, वहीं विपक्ष ने सरकारों के इस तरह का क़ानून बनाने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दख़ल और देश में सांप्रदायिक खाई गहरी करने का प्रयास क़रार दिया है.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि विधानसभा के अगले सत्र में ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ विधेयक पेश होगा, जिसमें 'लव जिहाद' को ग़ैर ज़मानती अपराध घोषित करते हुए मुख्य आरोपी और उसका साथ देने वालों को पांच साल के कठोर कारावास की सज़ा का प्रावधान किया जाएगा.
बीते अक्टूबर में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की थी और बताया था कि इस दौरान राज्य में लव जिहाद के बढ़ रहे मामलों सहित कई मुद्दों पर बात हुई थी. अब एक आरटीआई के जवाब में आयोग ने कहा है कि वह इस तरह का कोई डेटा नहीं रखता है.
जब ख़ुद केंद्र सरकार मान चुकी है कि लव जिहाद नाम की कोई चीज़ है ही नहीं, तो फिर कुछ राज्य सरकारों को उस पर क़ानून लाने की क्यों सूझी?
ऐतिहासिक नज़रिये से देखें, तो इस्लाम और हिंदू धर्म का आमना-सामना दोनों के लिए फायदेमंद ही रहा है.
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