12 मार्च को जारी किया गया दस्तावेज़ तार्किकता से रहित, नागरिकों की स्वतंत्रता को नकारानेवाला और पूरी तरह से भ्रामक है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले अक्टूबर से सितंबर तक भारत से लगभग 42,000 लोगों ने अवैध रूप से अमेरिका की दक्षिणी सीमा पार की है. यह संख्या पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है. इस साल अकेले सितंबर में 8,076 भारतीयों को विभिन्न मार्गों से अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने के दौरान गिरफ़्तार किया गया था.
बीएसएफ और एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत छोड़ते हुए पकड़े गए बांग्लादेश के नागरिकों की संख्या अवैध तरह से देश में प्रवेश करने वालों की संख्या से दोगुनी रही है.
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दाख़िल की गईं नई याचिकाओं में कहा गया है कि इस क़ानून में मुस्लिम वर्ग को स्पष्ट रूप से अलग रखना संविधान में प्रदत्त मुसलमानों के समता और पंथनिरपेक्षता के अधिकारों का हनन है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने सीएए और एनआरसी को भारत का आंतरिक मुद्दा बताते हुए कहा कि हमारा डर है कि अगर भारत में अनिश्चितता की कोई स्थिति होती है तो इसका असर उसके पड़ोसियों पर भी पड़ सकता है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा है कि भारत के पास अगर वहां अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों की सूची है तो हमें दे, उन लोगों को वापस लिया जाएगा. लेकिन अगर हमारे नागरिकों के अलावा कोई बांग्लादेश में घुसता है तो हम उसे वापस भेज देंगे.