रोज़ी रोटी अधिकार अभियान ने खाद्यान्न पाने के लिए राशन कार्डधारकों के ई-केवाईसी सत्यापन को रोकने की मांग करते हुए कहा कि एनएफएसए से बाहर रखे गए लोगों को राशन कार्ड जारी करने के बजाय सरकार की ऊर्जा मौजूदा कार्डधारकों के लिए और बाधाएं पैदा करने पर ख़र्च हो रही है.
खाद्य सुरक्षा और पोषण पर संयुक्त राष्ट्र की 2023 की रिपोर्ट में 2020-22 के दौरान भारत की कुपोषित आबादी का अनुपात 16.6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है. साथ ही, रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में भारत के 1 अरब से अधिक लोग स्वस्थ आहार का इंतजाम करने में असमर्थ थे.
बीते 23 दिसंबर को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि वह 1 जनवरी, 2023 से प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर देगी. ‘राइट टू फूड कैंपेन’ नामक संगठन ने कहा है कि जब तक देश पूरी तरह से महामारी से बाहर नहीं आ जाता है, तब तक सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति कम से कम 10 किलो राशन की गारंटी दी जानी चाहिए.
भोजन का अधिकार अभियान द्वारा कराए गए सर्वे में अनुसूचित जाति, जनजाति और मुस्लिमों समेत धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लोग शामिल थे. सर्वे के अनुसार लगभग 56 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन से पहले कभी भी भोजन छोड़ना नहीं पड़ा था. हालांकि सितंबर और अक्टूबर में 27 प्रतिशत लोगों को बिना भोजन के सोना पड़ा.