प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना वापस लेना ग़रीबों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ाएगा: अधिकार समूह

बीते 23 दिसंबर को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि वह 1 जनवरी, 2023 से प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर देगी. ‘राइट टू फूड कैंपेन’ नामक संगठन ने कहा है कि जब तक देश पूरी तरह से महामारी से बाहर नहीं आ जाता है, तब तक सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति कम से कम 10 किलो राशन की गारंटी दी जानी चाहिए. 

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(फोटो: रॉयटर्स)

बीते 23 दिसंबर को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि वह 1 जनवरी, 2023 से प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर देगी. ‘राइट टू फूड कैंपेन’ नामक संगठन ने कहा है कि जब तक देश पूरी तरह से महामारी से बाहर नहीं आ जाता है, तब तक सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति कम से कम 10 किलो राशन की गारंटी दी जानी चाहिए.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भोजन के अधिकार को लेकर देश भर में काम कर रहे संगठनों के एक समूह ‘राइट टू फूड कैंपेन’ ने एक बयान जारी करके कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को वापस लेना, जिसके तहत हर राशन कार्ड धारक को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र होने के चलते अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया जाता था, एक प्रतिगामी (पीछे ले जाने वाला) कदम है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन का कहना है कि सरकार के इस कदम से गरीब परिवारों को अपनी वर्तमान राशन जरूरत के स्तर तक पहुंचने के लिए 750 रुपये से लेकर 900 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त खर्च करने होंगे.

संगठन ने कहा कि इस कदम से 81 करोड़ कार्ड धारकों के लिए 50 फीसदी राशन की पात्रता में कमी आती है.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 (एनएफएसए) के तहत सभी प्राथमिकता श्रेणी के राशन कार्ड धारक प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज और अंत्योदय श्रेणी के कार्ड धारक 35 किलो अनाज के हकदार हैं. एनएफएसए कीमतों को 3 रुपये प्रति किलो चावल और 2 रुपये प्रति किलो गेहूं पर सीमित करता है.

अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की घोषणा की, जिसके तहत हर राशन कार्ड धारक को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र होने के चलते अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया गया था. इसलिए, राशन कार्ड धारक प्रति व्यक्ति 10 किलो राशन पाने का हकदार था.

23 दिसंबर 2022 को केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह 1 जनवरी 2023 से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर देगी.

राइट टू फूड कैंपेन ने जारी एक बयान में कहा है, ‘सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय करार दिया है, हालांकि वास्तव में यह किसी भी तरह से राशन की पात्रता में भारी कमी की भरपाई नहीं करता है.’

संगठन की गणना के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम राशन मुफ्त किए जाने की घोषणा के बाद सरकार को प्रति व्यक्ति 11 रुपये (4 किलो गेहूं × 2 रुपये और 1 किलो चावल × 3 रुपये) प्रति माह की बचत होगी, जबकि उसी व्यक्ति को अतिरिक्त पांच किलो अनाज खरीदने के लिए 150 से 175 रुपये के बीच खर्च करने होंगे, क्योंकि बाजार में चावल और गेहूं की कीमत 30-35 रुपये प्रति किलो है.

समूह ने कहा, ‘पांच सदस्यीय परिवार को अब राशन के मौजूदा स्तर तक पहुंचने के लिए प्रति माह 750-900 रुपये खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.’

संगठन ने आगे कहा, ‘राशन पात्रता को आधा करने और इसके परिणामस्वरूप खर्च में भारी वृद्धि को किसी भी तरह से ‘ऐतिहासिक’ नहीं कहा जा सकता है.’

राइट टू फूड कैंपेन ने मांग की है कि जब तक देश पूरी तरह से महामारी से बाहर नहीं आ जाता है, तब तक प्रति व्यक्ति कम से कम 10 किलो राशन की गारंटी दी जानी चाहिए और बाजरा, दाल एवं तेल को भी इसमें शामिल करके योजना को विस्तार दिया जाना चाहिए.

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