गुजरात के साबरकांठा ज़िले का मामला. महिला के पिता की मृत्यु के बाद परिवार ने महिला को उनकी मर्ज़ी से विवाह करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन इसके बजाय महिला ने इस साल फरवरी में अपने प्रेमी से शादी की. फैसले से नाराज़ महिला के चाचा ने उसके पति और ससुर पर हमला किया और महिला को अगवा कर लिया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ नागरिक के अपने घर में रहने के अधिकार को विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के चश्मे से देखा जाना चाहिए. अब यह अच्छी तरह से तय हो चुका है कि वरिष्ठ नागरिक के घर में रहने वाले बच्चे और उनके जीवनसाथी ज़्यादा से ज़्यादा ‘लाइसेंसधारक’ होते हैं. यदि वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों और परिवार के साथ खुश नहीं हैं, तो इस लाइसेंस को समाप्त भी किया जा सकता है.
ज़मीन अधिग्रहण के पांच दशक से अधिक पुरानी कार्रवाई से संबंधित मामले में फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह बेंगलुरु के बायपन्नहल्ली स्थित चार एकड़ जमीन को तीन महीने के अंदर उसके क़ानूनी मालिक के किसी वारिस को लौटाए. यह ज़मीन पिछले करीब 57 सालों से सरकार के क़ब्ज़े में थी.