आम तौर पर उपचुनाव या स्थानीय चुनाव परिणाम को प्रधानमंत्री से जोड़कर नहीं देखा जाता, लेकिन जब प्रधानमंत्री हर छोटे-बड़े चुनाव में पार्टी का स्टार प्रचारक बन जाएं तो ऐसे में हार को उनकी छवि और गिरती साख से अलग कर पाना मुश्किल हो जाता है.
15 राज्यों में लोकसभा की 27 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. इन 27 में से 16 सीटों पर राजग का क़ब्ज़ा था लेकिन उपचुनावों के बाद इसमें से 9 सीटों पर भाजपा और उनके सहयोगी दलों को हार मिली है, जबकि सात सीट बचाए रखने में वो कामयाब रहे हैं.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भंडारा-गोंदिया उपचुनाव में मिली हार पर कहा कि यदि चुनाव मानसून में होता तो भाजपा ज़रूर जीतती. उधर, एक भाजपा विधायक ने उत्तर प्रदेश में मिली हार के लिए योगी सरकार, उनके मंत्रियों और नौकरशाही को ज़िम्मेदार ठहराया है.
उपचुनाव परिणाम बता रहे हैं कि अब जुमलों से काम नहीं चलने वाला.
जन गण मन की बात की 252वीं कड़ी में विनोद दुआ उपचुनाव परिणाम और भाजपा की चुनावी बयानबाज़ी में आए बदलाव पर चर्चा कर रहे हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सका था.
चार लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए सुखद नहीं रहे. विपक्ष ने 11 सीटें जीती, भाजपा और उसके सहयोगी तीन सीटों तक ही सीमित.
वीडियो: विभिन्न राज्यों की चार लोकसभा और 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों का विश्लेषण कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु, अजय आशीर्वाद और कबीर अग्रवाल.
महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट भाजपा ने जीत ली है. केरल में माकपा, उत्तराखंड में भाजपा, बिहार में आरजेडी जीती. चार लोकसभा और विभिन्न राज्यों की 11 विधानसभा सीटों पर हाल ही में उपचुनाव संपन्न हुए थे.
उत्तर प्रदेश में कैराना सीट पर लोकसभा उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है. यहां मुख्य मुक़ाबला भाजपा और राष्ट्रीय लोक दल के बीच है. राष्ट्रीय लोक दल को सपा, बसपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कई छोटे दलों का समर्थन प्राप्त है.
कैराना उपचुनाव, मुज़फ़्फ़रनगर दंगों और किसान राजनीति पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी से कबीर अग्रवाल की बातचीत.
वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि आपातकाल से लेकर अब तक, जब-जब देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हालात आज की तरह नाज़ुक हुए, तब-तब विपक्षी दलों ने एकजुट होकर फिरकापरस्त ताक़तों को मुंहतोड़ जवाब दिया.
समाजवादी नेता मधु लिमये के जयंती समारोह में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और मायावती में से कोई भी नज़र नहीं आया.
उम्मीदवारों के चयन से उभरे असंतोष और मतदाताओं में बदले जातीय गुणा-गणित से यूपी इलेक्शन के तीसरे चरण में समाजवादी पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है