रूस-यूक्रेन संकट से कुछ कठोर सबक सीखे जा सकते हैं

रूस के क़दम भू-राजनीतिक संतुलन को बुरी तरह से बिगाड़ने वाले हैं, लेकिन क्या इन्हें अप्रत्याशित कहा जा सकता है? जवाब है, नहीं. कौन-सा शक्तिशाली देश अपने पड़ोस में निरंतर किए जा रहे रणनीतिक अतिक्रमणों को स्वीकार करेगा? अतीत में अपनी कमज़ोरी की क़ीमत चुकाने के बाद रूस को लगता है कि अब मज़बूत जवाबी कार्रवाई करने का वक़्त आ गया है.

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के मद्देनज़र भारतीय नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह

यूक्रेन के कीव स्थित भारतीय दूतावास ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की अनिश्चितताओं को देखते हुए भारतीय नागरिक, विशेष रूप से छात्रों जिनका वहां रहना आवश्यक नहीं है, वे अस्थाई तौर पर निकलने पर विचार कर सकते हैं. भारतीय नागरिकों को यूक्रेन के भीतर अनावश्यक यात्राओं से बचने की भी सलाह दी जाती है.

रूस-यूक्रेन की बीच तनाव: अमेरिका का दूतावास कर्मचारियों के परिवारों को यूक्रेन छोड़ने का आदेश

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है. वर्तमान में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. यूक्रेन सीमा पर रूस एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है. अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका से सुरक्षा की कई मांगें की हैं. यूक्रेन के नाटो में प्रवेश पर प्रतिबंध और नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाए, रूस की प्रमुख मांग है.