उर्दू के कई नामचीन लेखकों ने साल 2023 के लिए दिए गए साहित्य अकादमी पुरस्कार को लेकर ‘अयोग्य जूरी सदस्यों’ द्वारा इस साल नामांकित वरिष्ठ लेखकों की रचनाओं को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है. उन्होंने अकादमी के उर्दू एडवाइजरी बोर्ड के संयोजक चंद्रभान ख़याल को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग भी की है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विनोद जी की आधुनिकता रोज़मर्रा के निम्न-मध्यवर्गीय जीवन में रसी-बसी रही है. उनके यहां जो स्थानीयता आकार पाती है वह मानवीय उपस्थिति, मानवीय विडंबना और मानवीय ऊष्मा की एक त्रयी को चरितार्थ, उत्कट और सघन करती है.
छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में 1937 में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल को उनकी विशिष्ट लेखन शैली के लिए पहचाना जाता है. पुरस्कार समारोह 2 मार्च को न्यूयॉर्क में आयोजित किया जाएगा.
पुस्तक समीक्षा: लेखक रहमान अब्बास के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उर्दू उपन्यास 'रोहज़िन' का अंग्रेज़ी तर्जुमा कुछ समय पहले ही प्रकाशित हुआ है. यह उपन्यास किसी भी दृष्टि से टाइप्ड नहीं है. यह लेखक के अनुभव और कल्पना का सुंदर मिश्रण है, जिसे पढ़ते हुए पाठक एक साथ यथार्थ और अतियथार्थ के दो ध्रुवों में झूलता रहता है.
गोवा कोंकणी अकादमी की एक समिति ने कोंकणी कवि निलबा खांडेकर की किताब 'द वर्ड्स' की कविता 'गैंगरेप' के दो शब्दों पर आपत्ति जताते हुए इसकी बिक्री और प्रसार पर रोक लगा दी है. इसी कविता के लिए खांडेकर को 2019 में साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था.
प्रख्यात बंगाली लेखक रामपद चौधरी फेफड़े और वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनकी रचना ‘बाड़ी बोदले जाए’ के लिए 1988 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
लेखक हांसदा सोवेंद्र शेखर की किताब ‘द आदिवासी विल नॉट डांस’ पर संथाल आदिवासी समुदाय की महिलाओं का ग़लत चित्रण करने का आरोप लगा था.
इंक़लाब की बेटी ने कहा कि उनके पिता सरकार और बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे. अगर वे जीवित होते तो इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं करते.
झारखंड सरकार जल्द हटाएगी प्रतिबंध, किताब को अश्लील बताते हुए चार महीने पहले लगा दिया था बैन.