अडानी समूह के प्रति सरकार की कृपादृष्टि महज़ धारणा का मामला नहीं है

जितनी आक्रामक तरीके से सत्ताधारी पार्टी की तरफ से एक कारोबारी दिग्गज की हिमायत की कोशिश की जा रही है, आख़िर वह समूह अचानक पार्टी के लिए इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गया?