संस्थान के सहायक प्रोफेसर विपिन पुदियाथ वीतिल ने फैकल्टी सदस्यों को भेजे ईमेल में लिखा है कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों द्वारा उनके साथ भेदभाव किया गया है. उन्होंने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया है.
सामुदायिक वन अधिकारों में लघु वनोपज का मालिक़ाना हक़, मछली और जल निकायों के उत्पादों के प्रयोग, कमज़ोर आदिवासी समूहों के निवास स्थान जैसे अधिकार शामिल हैं. राज्य सरकार का कहना है कि अब तक चार लाख से अधिक व्यक्तिगत और 46 हज़ार से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र जारी किए गए हैं.
कोर्ट ने कहा कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे समय-समय पर इसकी समीक्षा करें ताकि जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिले और संपन्न या सक्षम लोग इस पर अधिकार जमाए न बैठे रहें.
साल 2000 में अविभाजित आंध्र प्रदेश ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करते हुए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जिसे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बराबर-बराबर भरेंगे.