समाचार वेबसाइट स्क्रॉल के रिपोर्टर ज़फ़र आफ़ाक़ ने बीते दिनों मध्य प्रदेश के इंदौर से एक रिपोर्ट की थी, जिसमें बजरंग दल के सदस्यों द्वारा मुस्लिम युवकों पर हमले और पुलिस कार्रवाई में भेदभाव की बात कही गई थी.
बीते जून में न्यूज़ वेबसाइट ‘स्क्रोल’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज़ किया था. इलाहबाद हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से संरक्षण देते हुए एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को नामंज़ूर कर दिया है.
प्रधानमंत्री के गोद लिए गए गांव से संबंधित एक रिपोर्ट पर पत्रकार सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ वाराणसी में केस दर्ज़ किया गया है. मीडिया संगठनों का कहना है कि अधिकारियों द्वारा क़ानूनों के इस तरह से दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति भारत के लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ को नष्ट करने की तरह है.
समाचार पोर्टल ‘स्क्रोल डॉट इन’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा और एडिटर-इन-चीफ के ख़िलाफ़ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून 1989 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने केस दर्ज़ किया है.