सेंसेक्स की सूचीबद्ध कंपनियों ने सामूहिक तौर से पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर 628 करोड़ रुपये दिए हैं. भारती एयरटेल ने सबसे ज़्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के चलते शेयर बाजार पर दबाव देखने को मिला.
सरकार के पास कोई आइडिया नहीं है. वह हर आर्थिक फैसले को एक इवेंट के रूप में लॉन्च करती है. तमाशा होता है, उम्मीदें बंटती हैं और नतीजा ज़ीरो होता है.
शुरुआती कारोबार में रुपया 24 पैसे गिरकर 74.45 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. वहीं सेंसेक्स 1,030 अंक गिरकर 34,000 अंक के स्तर से नीचे चला गया.
सेंसेक्स शुक्रवार को 792 अंक का गोता लगाकर छह महीने के न्यूनतम स्तर 34,376.99 पर बंद हुआ.
गुरुवार को सेंसेक्स 806 अंक टूटकर 35,200 अंक से नीचे आ गया. यह इसका तीन महीने का निचला स्तर है. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 259 अंक के नुक़सान से 10,600 अंक से नीचे आ गया.
बैंक ने सुस्त वृद्धि दर, नोटबंदी व जीएसटी से उत्पन्न चुनौतियों को ज़िम्मेदार ठहराया. पूर्वानुमान से सेंसेक्स टूटा.
डॉलर की भारी मांग के चलते रुपये को झटका, 14 मार्च के बाद रुपये में सबसे बड़ी गिरावट.