शांति समझौता ‘शर्मनाक’; लक्ष्य और आदर्श छोड़े जाने पर राजनीतिक समाधान संभव नहीं: उल्फा (आई)

मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने बीते 29 दिसंबर को एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. परेश बरुआ के नेतृत्व वाला दूसरा गुट, जिसे उल्फा (आई) के नाम से जाना जाता है, शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ है.

अलग झंडे और संविधान की मांग पूरी नहीं होने पर नगा समूह शांति वार्ता से हटने को तैयार

मणिपुर के नगा-बहुल उखरुल ज़िले में नगा नेताओं की एक दिवसीय सार्वजनिक सलाहकार बैठक के दौरान एनएससीएन के विचारक माने जाने वाले आरएच राइजिंग ने कहा कि अगर नगाओं की स्थिति का नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है तो संगठन संघर्ष विराम से बाहर निकलने के लिए तैयार है.

नगा समूह ने केंद्र से कहा, अलग ध्वज और संविधान के बिना नगा संघर्ष का समाधान संभव नहीं

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) का यह बयान केंद्र सरकार द्वारा विद्रोही समूह के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के कुछ दिनों बाद आया है. एनएससीएन-आईएम समेत नगा समूहों का दावा है कि नगा कभी भी भारत का हिस्सा नहीं थे और उन्होंने 14 अगस्त 1947 को ‘स्वतंत्रता’ की घोषणा की थी.