अलग झंडे और संविधान की मांग पूरी नहीं होने पर नगा समूह शांति वार्ता से हटने को तैयार

मणिपुर के नगा-बहुल उखरुल ज़िले में नगा नेताओं की एक दिवसीय सार्वजनिक सलाहकार बैठक के दौरान एनएससीएन के विचारक माने जाने वाले आरएच राइजिंग ने कहा कि अगर नगाओं की स्थिति का नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है तो संगठन संघर्ष विराम से बाहर निकलने के लिए तैयार है.

14 अगस्त को एनएससीएन-आईएम का स्वतंत्रता दिवस समारोह. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@MIP_GPRN)

मणिपुर के नगा-बहुल उखरुल ज़िले में नगा नेताओं की एक दिवसीय सार्वजनिक सलाहकार बैठक के दौरान एनएससीएन के विचारक माने जाने वाले आरएच राइजिंग ने कहा कि अगर नगाओं की स्थिति का नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है तो संगठन संघर्ष विराम से बाहर निकलने के लिए तैयार है.

14 अगस्त को एनएससीएन-आईएम का स्वतंत्रता दिवस समारोह. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@MIP_GPRN)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार पर ताजा हमला करते हुए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) [एनएससीएन (इसाक-मुइवा)] के वरिष्ठ नेता आरएच राइजिंग ने धमकी दी है कि अगर संगठन की अलग झंडे और संविधान की मांग पूरी नहीं हुई तो वह वर्तमान में जारी शांति वार्ता से बाहर निकल जाएंगे.

बीते 25 अक्टूबर को मणिपुर के नगा-बहुल उखरुल जिले में नगा नेताओं की एक दिवसीय सार्वजनिक सलाहकार बैठक में बोलते हुए एनएससीएन के विचारक माने जाने वाले राइजिंग ने कहा कि एक अलग झंडे का मुद्दा ‘अंतिम रूप देने के चरण में है, जबकि संविधान से संबंधित मामले पर अब भी बातचीत चल रही है.’

संगाई एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने ‘जोर देकर कहा कि अगर नगाओं की स्थिति का (नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा) सम्मान नहीं किया जाता है तो एनएससीएन (आई-एम) (केंद्र सरकार के साथ) संघर्ष विराम से बाहर निकलने के लिए तैयार है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि राइजिंग ने यह दोहराते हुए कि ‘नगा मिशन-ओरिएंटेड लोग हैं और उनका भारत या म्यांमार के साथ विलय का कोई इरादा नहीं है’. उन्होंने यह भी कहा, ‘कोई भी भारतीय कानून हमें बाध्य नहीं करेगा.’

यह दावा करते हुए कि नगा क्षेत्र में ‘किसी भी प्रकार का (केंद्र का) का दबाव उनके पैतृक भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए उनके आंदोलन को और अधिक जीवंत बना देगा’, राइजिंग ने कहा कि नई दिल्ली ने ‘राजनीतिक वार्ताओं की एक श्रृंखला के बाद नगाओं के अद्वितीय इतिहास को मान्यता दी है.’

यह दावा करते हुए कि 2015 से केंद्र के साथ शांति वार्ता में भाग ले रहे एनएससीएन के शीर्ष नेता ने कहा कि नगा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का ‘केंद्र का दबाव उनके पैतृक भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए उनके आंदोलन को और अधिक जीवंत बना देगा’. दिल्ली ने ‘राजनीतिक वार्ताओं की एक श्रृंखला के बाद नगाओं के अद्वितीय इतिहास को मान्यता दी है.’

2015 से केंद्र के साथ शांति वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं एनएससीएन के शीर्ष नेता राइजिंग ने यह भी कहा कि ‘नगा मुद्दे को हल किए बिना भारतीय उपमहाद्वीप में शांति नहीं होगी.’

अलग झंडे और संविधान के मुद्दे पर एनएससीएन के समझौता करने से इनकार के कारण शांति वार्ता में आए लंबे गतिरोध के बाद गृह मंत्रालय ने बीते अगस्त में इसे फिर से शुरू किया है. उन वार्ताओं से पहले एनएससीएन के शीर्ष नेता टीएच मुइवा ने अपने ‘नगा स्वतंत्रता दिवस’ भाषण में भी उन मांगों को दोहराया था.

14 अगस्त को 80 वर्षीय नेता मुइवा ने कहा था, ‘झंडा और संविधान स्वाभाविक रूप से लोगों की संप्रभुता से अविभाज्य हैं. यह सर्वमान्य सत्य है कि झंडा और संविधान संप्रभुता के अभिन्न अंग हैं. इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है. भारतीय नेता भी इसे समझते हैं. उन्हें सच बोलने के लिए स्टैंड लेना चाहिए.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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