अर्थव्यवस्था तकनीकी रूप से मंदी में, दूसरी तिमाही की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट

आने वाले समय में बेहतर उपभोक्ता मांग से इसमें और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. अगर दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में गिरावट रहे तो उस अर्थव्यवस्था को मंदी में कहा जाता है.

पहली बार देश मंदी में, दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.6 प्रतिशत गिरने का अनुमान: आरबीआई

आरबीआई के रिसर्चर द्वारा तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तकनीकी रूप से 2020-21 की पहली छमाही में अपने इतिहास में पहली बार आर्थिक मंदी में चला गया है.

जीडीपी में इस साल 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान: आरबीआई

मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और उम्मीद की किरण दिखने लगी है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है.

इस्पात, सीमेंट, बिजली जैसे आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अगस्त में 8.5 प्रतिशत घटा

कोयला और उर्वरक को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में अगस्त 2020 में गिरावट रही. कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली सभी छह क्षेत्रों के उत्पादन में इस दौरान कमी आई है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के अनुमान क्या वास्तविक तस्वीर दिखा रहे हैं

मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार होने के आशावादी अनुमानों का समर्थन न करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सतर्क किया है कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार होगा.

देश में आर्थिक नरमी के लिए केवल वैश्विक कारक पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं: शक्तिकांत दास

अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है. वैश्विक आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सभी विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाओं द्वारा समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की आवश्यकता है.

आर्थिक वृद्धि धीमी हुई लेकिन अर्थव्यस्था में मंदी नहीं: निर्मला सीतारमण

देश में आर्थिक संकट को लेकर राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों के सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया. उनका कहना था कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था के सामने खड़े मसलों के समाधान के बजाय अपना बजट भाषण पढ़ रही हैं.

राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए आरबीआई से 30000 करोड़ का अंतरिम लाभांश ले सकती है सरकार

केंद्र सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए आरबीआई से अंतरिम लाभांश ले चुकी है. पिछले साल सरकार ने आरबीआई से 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश लिया था. इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये लिए गए थे.

पीएमसी मामला: ग्राहकों ने बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों की ओर से बैंक के चेयरमैन और उसके निदेशकों के ख़िलाफ़ जनता के धन का गबन करने की शिकायत दर्ज कराई गई है.

सरकार को भुगतान के बाद रिजर्व बैंक का आपात कोष घटकर 1.96 लाख करोड़ रुपये रह गया: रिपोर्ट

पिछले साल इसी अवधि में आपात कोष 2.32 लाख करोड़ रुपये पर था. यह वह कोष है जो केंद्रीय बैंक आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने पास रखता है.

‘आर्थिक त्रासदी’ पर प्रधानमंत्री-वित्त मंत्री बेखबर, आरबीआई से कर रहे चोरी: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.

आरबीआई ने मोदी सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया

आरबीआई के निदेशक मंडल ने केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया है. आरबीआई ने सरकार को जो राशि देने का फैसला किया है वह पिछले पांच सालों के मुकाबले तीन गुना अधिक है.

आरबीआई गवर्नर ने माना, अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है

प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पहली बार 0.35 प्रतिशत की चौंकाने वाली कटौती करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था को अधिक समर्थन की जरूरत है, इसलिए मेरा मानना है कि नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की परंपरागत कटौती कम होगी.

आरबीआई ने रेपो दर में की 0.25 फीसदी कटौती, कहा- आर्थिक वृद्धि दर कमज़ोर पड़ी

आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा में इस बात पर अफसोस जताया गया है कि बैंकों के लिए नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया गया है. नीतिगत दरों में पहले 0.50 फीसदी की कमी की गई पर बैंकों ने क़र्ज़ पर ब्याज दर में औसतन केवल 0.21 फीसदी की ही कमी की है.