बुलेट ट्रेन परियोजना को उन किसानों और आदिवासियों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिनकी भूमि अधिग्रहित की जानी है.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन की ओर से कहा गया है कि बुलेट ट्रेन प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिन्होंने इसके आर्थिक पहलुओं के बारे में विचार नहीं किया. जबसे वह प्रधानमंत्री बने हैं, निजी कंपनियों के हितों की रक्षा का प्रयास कर रहे हैं.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न ज़िलों के प्रभावित किसानों ने हलफ़नामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी ज़मीन का अधिग्रहण किया जाए.
बुलेट ट्रेन के प्रस्तावित मार्ग से जुड़े गुजरात के विभिन्न जिलों के प्रभावित किसानों ने हलफनामे में कहा कि वे नहीं चाहते कि परियोजना के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाए.
अगर 50 वर्षों के हिसाब से देखा जाए, तो मुद्रास्फीति में अंतर के हिसाब से जापान को चुकाई जाने वाली रकम कहीं ज़्यादा बड़ी होगी.
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार लिखते हैं,‘ये इवेंट सरकार है. आपको इवेंट चाहिए इवेंट मिलेगा. किसी भी चीज़ को मेक इन इंडिया से जोड़ देने का फन सबमें आ गया जबकि मेक इन इंडिया के बाद भी मैन्यूफैक्चरिंग का अब तक का सबसे ख़राब रिकॉर्ड है.’
बुलेट ट्रेन को कांग्रेस ने बताया चुनावी परियोजना, कहा- यूपीए की परियोजना को तीन साल बाद गुजरात चुनाव से पहले लाई है मोदी सरकार.
प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा, पालघर में छोटे किसान हैं. अगर परियोजना के लिए उनकी ज़मीन का अधिग्रहण हुआ तो वे बर्बाद हो जाएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कोई भी देश आधे-अधूरे संकल्पों के साथ कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता.