बॉम्बे हाईकोर्ट पूछा कि पुलिस ऐसे दस्तावेज़ों को इस तरह पढ़कर कैसे सुना सकती है जिनका इस्तेमाल मामले में साक्ष्य के तौर पर किया जा सकता है.
भीमा कोरेगांव हिंसा के पीछे बताए जा रहे कथित नक्सल कनेक्शन के चलते ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) क़ानून के तहत गिरफ़्तार किए गए पांचों लोगों के प्रति पुलिस और प्रशासन का यह रवैया नया नहीं है.