छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सिलगेर गांव में बीते नौ महीनों से सीआरपीएफ कैंप की स्थापना के ख़िलाफ़ ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं. 19 जनवरी को सार्वजनिक परिवहन की बस से आंदोलन के नेताओं का एक समूह राज्यपाल से मिलने रायपुर जा रहा था, जब पुलिस ने बीच रास्ते में उन्हें कोविड नियमों के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया और अन्य यात्रियों को बेरोक-टोक जाने दिया.
बस्तर संभाग के सुकमा ज़िले के सिलगेर गांव में सीआरपीएफ के कैंप के विरोध में खड़े हुए जनांदोलन को दबाने और माओवादी बताने की कोशिशें लगातार हो रही हैं, लेकिन इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन के इतनी आसानी से ख़त्म हो जाने के आसार नज़र नहीं आते.
बस्तर संभाग के सुकमा ज़िले के सिलगेर गांव में 20 दिनों से हज़ारों ग्रामीण आंदोलनरत हैं. उनका कहना है कि उन्हें जानकारी दिए बिना उनकी ज़मीन पर राज्य सरकार ने सुरक्षाबल के कैंप लगा दिए हैं. ग्रामीणों को हटाने के लिए हुई पुलिस की गोलीबारी में तीन ग्रामीणों की मौत हुई है, जिसके बाद से आदिवासियों में काफ़ी आक्रोश है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के सिलगर गांव स्थित सीआरपीएफ के सुरक्षा शिविर के विरोध में आदिवासियों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा था. इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस फायरिंग में बीते 17 मई को तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए थे. सुरक्षाबलों ने मारे गए लोगों को माओवादी बताया था और मृतकों के परिजनों ने इस बात से इनकार किया है.