ईमेल और ऑनलाइन पोस्ट में महिला की गरिमा के ख़िलाफ़ लिखना अपराध: बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई के एक शख़्स ने उसके द्वारा एक महिला को लिखे आपत्तिजनक ईमेल के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को ख़ारिज करने की अपील की थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि ईमेल या सोशल मीडिया पर महिला के बारे में अपमानजनक शब्द लिखना अपराध की श्रेणी में आता है. 

मनुष्यता के पक्ष में होने की एक अनिवार्य शर्त प्रेम के पक्ष में होना है

पुस्तक समीक्षा: मंगलेश डबराल की 'प्रतिनिधि कविताएं' पढ़ते हुए लगता है मानो वे कह रहे हों कि ईमानदारी और मनुष्यता ख़ुद से बची रहने वाली चीज़ें नहीं हैं. वे इसे मनुष्य की अपने साथ एक लगातार चलने वाली जद्दोजहद मानते हैं.

लोकसभा चुनाव ने नई उम्मीद को जन्म दे दिया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: समाज, शिक्षा, धर्म, मीडिया आदि में जो ज़हर फैल गया है वह रातोंरात ग़ायब नहीं हो जाएगा, न हो रहा है. हमारे समय का एक दुखद अंतर्विरोध यह है कि ये शक्तियां अब भी हावी और सक्रिय हैं, उन्हें समर्थन देने वाला पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग झांसों-वायदों की गिरफ़्त में है.

आज़ादी की सालगिरह कोई तमाशा नहीं, उससे फिर से इक़रार करने का दिन है

'आज़ादी की लड़ाई हमेशा जारी रहती है. कभी उसका अंत नहीं होता. हमेशा उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है, हमेशा उसके लिए क़ुर्बानी करनी पड़ती है, तब वह क़ायम रहती है.'

देश में दलित व्यवसायियों की आय अन्य की तुलना में 15 से 18 फीसदी कम है: रिपोर्ट

आबादी के विभिन्न समूहों की आय के पैटर्न पर किए गए एक अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि दलितों को समाज में दोष और लांछन का सामना करना पड़ता है जो अन्य वंचित समुदायों जैसे कि ओबीसी, आदिवासी या मुसलमानों द्वारा सामना किए जाने वाले व्यवहार से अलग है.

विभाजन से अब तक सांप्रदायिक हिंसा का स्वभाव किस तरह बदला है

वीडियो: देश के अग्रणी विचारकों में से एक आशीष नंदी का मानना है कि उनके जैसे लोग 2014 के चुनावों के परिणामों का अनुमान नहीं लगा पाए थे. द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज के साथ बातचीत में उन्होंने नरेंद्र मोदी, गोपाल गोडसे और मदनलाल पाहवा के साथ अपने प्रसिद्ध साक्षात्कारों को याद किया.

स्वतंत्रता एक बार मिल गई स्थिति नहीं है; उसे लगातार समृद्ध करना और बचाना होता है

कभी कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता के अर्थ में बदलते परिवेश और समय के अनुसार कई और अर्थ जुड़ते रहे. अगर आज विचार करें तो लगेगा कि इस समय का अर्थ प्रमुख रूप से यह है कि हम झूठ-नफ़रत-हिंसा की मानसिकता और राजनीति की ग़ुलामी करने से मुक्त रहें.

दलित आरक्षण: वर्गीकरण का विरोध जातिगत हित साधने की कवायद है

कुछ मेहरबान तर्क दे रहे हैं कि वर्गीकरण से दलित एकता कमज़ोर होगी. दलितों में फूट पड़ जाएगी. इसका मतलब यह हुआ कि महादलित वाल्मीकि/मज़हबी, मुसहर, मादिगा जैसे दलित समुदाय एकता के नाम पर कभी यह सवाल न करें कि वे आगे की पंक्ति में क्यों नहीं हैं.

आरक्षण वर्गीकरण पर शीर्ष अदालत का निर्णय नए प्रश्नों को जन्म देता है

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने दलित-आदिवासी संस्कृति और परंपराओं पर प्रश्नचिह्न लगाया है, साथ ही यह महत्वपूर्ण प्रश्न भी प्रस्तुत कर दिया हैं कि आरक्षण के प्रावधान के बावजूद जो जातियां और वर्ग अब तक पिछड़े हैं, उनकी उन्नति का उत्तरदायित्व कौन लेगा?

मैं क्यूं जाऊं अपने शहर: विश्वास के टूटने और बहाल होने की कहानी

पुस्तक समीक्षा: परमजीत सिंह की 'मैं क्यूं जाऊं अपने शहर: 1984 कुछ सवाल, कुछ जवाब' सिख विरोधी दंगों की कुछ अनसुलझी मानवीय और राजनीतिक गुत्थियों को नए सिरे से पेश करती है.

अनजाने में इंसानों ने गिद्धों को विलुप्त किया और फिर इसकी क़ीमत अपनी मौतों से चुकाई

गिद्ध बहुत कुशल सफाईकर्मी के रूप में पर्यावरण स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किसान लंबे समय से पशुओं के सड़ते शवों का निपटारा करने के लिए उन पर निर्भर रहे हैं.

आरक्षण पर अदालत का फैसला: कार्यकर्ताओं ने किया उप-वर्गीकरण का स्वागत, पर नेता विरोध में

एक ओर योगेंद्र यादव और बेला भाटिया का कहना है कि इससे आरक्षण का लाभ सर्वाधिक वंचित समुदाय तक पहुंच सकेगा, वहीं, कुछ नेता इसे 'फूट डालो राज करो' की संज्ञा देते हैं.

कोटा देने के लिए के लिए एससी समुदायों का उप-वर्गीकरण किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 संबंधी एक मामले में निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन्हीं समुदायों के अधिक पिछड़े लोगों को अलग कोटा देने के उद्देश्य से अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण किया जा सकता है.

प्रेमचंद: समाज के साथ खड़ा एक निर्भीक लेखक

जन्मदिन विशेष: प्रेमचंद ने 'चंद्रकांता संतति' पढ़ने वाले पाठकों को 'सेवासदन' का पाठक बनाया. साहित्य समाज की अनुकृति मात्र नहीं बल्कि समाज को दिशा भी दिखा सकता है, यह प्रेमचंद से पहले कल्पना करना असंभव था.

कांवड़ मार्ग नेमप्लेट: एनडीए के सहयोगी जयंत चौधरी ने योगी सरकार के आदेश की आलोचना की

एनडीए सरकार में भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों के नाम लिखने के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई है.

1 2 3 4 5 75