समस्या सड़क पर नमाज़ पढ़ने में नहीं, उसे देखने के तरीके में है

क्या वाकई सड़कों पर सभी प्रकार के धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा सकते हैं? तब तो बीस मिनट की नमाज़ से ज़्यादा हिंदुओं के सैकड़ों धार्मिक आयोजन प्रभावित होने लग जाएंगे, जो कई दिनों तक चलते हैं. बैन करने की हूक सड़कों के प्रबंधन बेहतर करने की नहीं है, एक समुदाय के प्रति कुंठा और ज़हर उगलने की ज़िद है.

पॉक्सो जैसे गंभीर मामलों को किसी तरह की मध्यस्थता के ज़रिये नहीं सुलझाया जा सकता: हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.

भाषा पर ध्यान देना चौकन्ना काम है, वह प्रचलित सामान्यीकरणों के सहारे नहीं हो सकता

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी में ऐसा आलोचनात्मक माहौल बन गया है कि भाषा को महत्व देना या कि उसकी केंद्रीय भूमिका की पहचान करना, उस पहचान को ब्योरों में जाकर सहेजना-समेटना अनावश्यक उद्यम मान लिया गया है.

हितोपदेश के एक श्लोक से वस्त्र की तरह गिरी एक पंक्ति और डर कर जमी हुई कविता में प्रतिध्वनियां

अनामिका की एक सामान्य-सी कविता के एक संदर्भ को लेकर चल रही बहस के भीतर चिंगारियां या अदावत का आह्लाद तलाश करने के बजाय यह देखना ज़रूरी है कि हम शब्दों के प्रति कितने सचेतन हैं कि कविता के शब्द कभी हमारी स्मृतियों के भीतर भी कभी नहीं गिरें. भले ही वे नारायण पंडित के हितोपदेश के किसी श्लोक के शब्द हों या फिर अनामिका की किसी स्मृति के बिंब से जुड़े.

गृहिणी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति: इलाहाबाद हाईकोर्ट

एक परिवार से जुड़े भूमि स्वामित्व संबंधी मामले में फैसला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पति द्वारा उसकी गृहिणी पत्नी, जिसकी कोई स्वतंत्र आय नहीं है, के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को पुरुष की व्यक्तिगत आय से खरीदा माना जाएगा. ऐसी संपत्ति प्रथमदृष्टया संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति बन जाती है.

निर्भयता ऐसे नहीं आती: उसके लिए जतन ज़रूरी है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: आज अगर साहित्य और कलाएं निर्भयता का परिसर नहीं हैं, अगर वे निर्भय नहीं करतीं तो यह उनका नैतिक और सभ्यतामूलक कदाचरण होगा. भय के आगे आत्मसमर्पण करना भारतीय प्रश्नवाची परंपरा, लोकतंत्र और साहित्य-कलाओं की सामाजिक ज़िम्मेदारी के साथ विश्वासघात के बराबर होगा.

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, तो क्या नागरिकता के नियम बदलेंगे?

वीडियो: भारत की राजनीति, आगामी लोकसभा चुनाव और मोदी सरकार की वापसी की संभावनाओं को लेकर अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

क्या आज के सत्ताधारी राम राज्य बना सकते हैं?

राम राज्य अपने आप नहीं आएगा, इसके लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रयास करने होंगे. सभी के लिए न्याय चाहिए होगा. लिंग, जाति, समुदायों के बीच समता लानी होगी. सभी के लिए उचित कमाई वाले रोज़गार, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं और माहौल चाहिए होगा. लेकिन सिर्फ राम का आह्वान करने से ये नहीं होगा.

सच बनाम हिंदुत्व मिथक 

तमिल फिल्म अन्नपूर्णी, जिसे नेटफ्लिक्स ने हटा दिया है, को लेकर उपजा विवाद हुआ ही नहीं होता, अगर फिल्म के दृश्य से आहत होने वाले कथित धार्मिकों ने वाल्मीकि रामायण पढ़ ली होती.

12th फेल और यूपीएससी की चाहत

एक सरकारी नौकरी को पाने के लिए लाखों लाख युवा अपनी युवावस्था, अपनी उत्पादकता के सबसे चरम वर्षों को जिस पूरी यंत्रणा से गुज़ारते हैं, क्या वह वाकई ज़रूरी है?

राम की महिमा है कि वे कहीं गए नहीं हैं, फिर भी वापस आएंगे!

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: राम की महिमा है कि उनकी स्तुति में शामिल होकर हत्यारे-लुटेरे-जघन्य अपराधी अपने पाप धो लेंगे और राम-धवल होकर अपना अपराधिक जीवन जारी रखेंगे. राम की महिमा है कि उन्होंने इतना लंबा वनवास सहा, अनेक कष्ट उठाए जो यह तमाशा, अमर्यादित आचरण भी झेल लेंगे.

यूपी: क्रिकेट मैच के विवाद में दलित युवक की बेरहमी से पिटाई, चेहरे पर पेशाब किया

लखनऊ के इंदिरानगर थानाक्षेत्र में यह घटना 13 जनवरी को हुई थी, जहां क्रिकेट मैच के दौरान हुए विवाद में युवाओं के एक समूह ने 18 वर्षीय दलित लड़के को मारा पीटा गया था. इसके बाद कई बार उसे पीटा गया और कथित तौर पर उस पर पेशाब किया गया.

सारे अंधेरे के बावजूद रोशनी का इंतज़ार अप्रासंगिक नहीं

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: एक तरह का 'सभ्य अंधकार' छाता जा रहा है, पूरी चकाचौंध और गाजे-बाजे के साथ. लेकिन, नज़र तो नहीं आती पर बेहतर की संभावना बनी हुई है, अगर यह ख़ामख़्याली है तो अपनी घटती मनुष्यता को बचाने के लिए यह ज़रूरी है.

बिहार: परिवार के ख़िलाफ़ जाकर विवाह करने वाले दंपति की हत्या, सालभर की बेटी को भी गोली मारी

घटना भागलपुर ज़िले के एक गांव की है. 2021 में चांदनी और चंदन कुमार सिंह ने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ विवाह कर लिया था. मंगलवार को दोनों अपनी एक साल की बेटी को लेकर चंदन के परिवार से मिलकर लौट रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. पुलिस के अनुसार, हमला लड़की के पिता और भाई ने किया था.