राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा

कोरोना के चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में घुमंतू समुदाय के कई समूह फंसे हुए हैं, न काम है न खाने पीने की कोई व्यवस्था. कुछ आम नागरिकों से मिली मदद के सहारे रह रहे इस समुदाय का कहना है कि सरकार द्वारा ग़रीबों के लिए हुई घोषणाओं में से उन्हें किसी का लाभ नहीं मिला है.

सात दिन के बच्चे की मां को लॉकडाउन में फंसे पति का इंतजार

वीडियो: बीते 24 मार्च को हुए देशव्यापी लॉकडाउन में गुड़गांव में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले नानबाबू फंस गए. इस दौरान कालिंदी कुंज में रहने वाले पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा कर उनकी पत्नी रेशमा की डिलीवरी कराई और खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं. विशाल जायसवाल की रिपोर्ट.

कोरोना: भोपाल में 85 संक्रमितों में से 40 स्वास्थ्यकर्मी, राज्य मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब

मध्य प्रदेश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 57 नए मामले सामने आने के बाद प्रदेश में इस बीमारी की चपेट में आने वालों की तादाद बढ़कर 313 पर पहुंच गई है. मध्य प्रदेश में अब तक 23 लोगों की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण से हो चुकी है.

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में संयमित खर्च को लेकर सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पांच सुझाव दिए

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ में स्थानांतरित करने, सरकारी खर्च में 30 प्रतिशत की कटौती करने, 'सेंट्रल विस्टा' परियोजना को स्थगित करने और सरकारी विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगाने का अनुरोध किया.

दिल्ली: लॉकडाउन में फंसे पति के इंतज़ार में एक मां का संघर्ष

दिल्ली के कालिंदी कुंज के श्रम विहार इलाके में बसे एक कैंप में रहने वाली 23 वर्षीय रेशमा के पति दिहाड़ी मज़दूर हैं, जो लॉकडाउन के चलते गुड़गांव में फंस गए हैं. रेशमा ने दस दिन पहले बेटी को जन्म दिया है. बिना पैसे और खाने के वह पड़ोसियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद के सहारे रह रही हैं.

कोरोना लॉकडाउन: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती

केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित करने का फैसला किया है. सांसद निधि को निलंबित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा कि इससे नई दिल्ली की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, न कि 543 सांसदों के स्थानीय मुद्दों को.

बिहार: भोजपुर में महादलितों के घरों पर हमला, छह लोगों को गोली मारी

घटना भोजपुर ज़िले के तरारी थाना क्षेत्र के सारा गांव की है. पुलिस के मुताबिक गांव के प्रभावशाली जातियों के कुछ लोग महिलाओं से छेड़छाड़ के इरादे से मुसहर टोली में घुसे थे. विरोध होने पर उन्होंने फायरिंग की, जिसमें एक साल की बच्ची समेत छह लोग घायल हो गए हैं.

कोरोना: मोदी सरकार के पास न रणनीति है, न ही मानवता

बीते छह सालों में मोदी सरकार के कई फ़ैसले दिखाते हैं कि उसे जनता में डर और दहशत पैदा करने का विचार पसंद है. नोटबंदी में लंबी लाइनों में लगकर पुराने नोटों को बदलना हो, नागरिकता साबित करने के लिए कागज़ जुटाना या अचानक हुए लॉकडाउन में अनहोनी के डर पलायन, सरकार के फ़ैसलों की मार समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके पर ही पड़ी है.

प्रधानमंत्री जी, जनता को संकट की इस घड़ी में भरोसा दें, भरम नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी से फैले अंधकार के बीच हमें निरंतर प्रकाश की ओर जाना है. जो इस कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, हमारे ग़रीब भाई-बहन, उन्हें निराशा से आशा की तरफ ले जाना है. काश, वे यह समझते कि ये ग़रीब इस तरह निराश नहीं हुआ करते, वे तभी हारते हैं जब ढोंग और ढकोसलों में भरमा दिए जाते हैं.

कोरोना पर फेक न्यूज और सांप्रदायिक संदेश फैलाने वालों को नहीं छोड़ेंगे: उद्धव ठाकरे

दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.

तबलीग़ी जमात के बहाने मुसलमानों के ख़िलाफ़ पुरानी नफ़रत का हमला

मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.

मज़दूरों का सामूहिक पलायन व्यवस्था और समाज के बारे में क्या बताता है

प्रवासी मज़दूरों का सामूहिक पलायन भुखमरी के तात्कालिक भय से कहीं ज़्यादा, ग़रीब हिंदुस्तानियों के सामूहिक अवचेतन में सदियों से बैठी इस धारणा का प्रमाण है कि उन्हें सत्ता, उसकी व्यवस्था और समाज के संपन्न वर्ग से कभी कोई आशा नहीं करनी चाहिए और यह कि 'अंत में ग़रीब की कोई नहीं सुनेगा.'

कोरोना: यूपी सरकार ने रोज़गार सेवकों का बकाया मानदेय दिए बिना संक्रमितों की पहचान में लगाया

उत्तर प्रदेश के 36 हज़ार रोज़गार सेवकों को 18 महीनों का मानदेय नहीं मिला है, जो क़रीब 170 करोड़ रुपये होता है. बावजूद इसके उन्हें गांवों में आए प्रवासी कामगारों की पहचान के काम में लगाया गया है. संक्रमण के जोख़िम के बीच न तो उन्हें मास्क और दस्ताने दिए गए हैं, न ही उनका बीमा कराया गया है.

कोरोना से निपटने के सरकार के कदम ग़रीब-विरोधी हैं

सरकार द्वारा ग़रीबों की मदद के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी मामूली घोषणाएं की गई हैं. हमें नहीं पता अगर कोई ग़रीब कोरोना से संक्रमित हुआ तो उसे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई तो बेड और वेंटिलिटर जैसी सुविधाएं मिलेंगी?

कोरोना लॉकडाउन: ग़रीब और कमज़ोर तबके की मदद के लिए क्या उपाय किया जा सकते हैं

देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थितियां उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेंगी, जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी करेगा.

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