गोबिंदगढ़ क़िला: बाज़ार के हाथों में इतिहास का ज़िम्मा

अमृतसर के गोबिंदगढ़ क़िले में इतिहास की निशानियां सुरक्षित रहनी चाहिए, लेकिन पुरातात्विक विभाग को इमारत का ज़िम्मा देने के बजाय पंजाब सरकार ने बॉलीवुड अभिनेत्री दीपा साही को इसे वर्चुअल रियलिटी थीम पार्क में बदलने की ज़िम्मेदारी सौंपी है.

औरत का मुसलमान होना भी औरत होने की तरह ही ख़तरनाक है…

औरत सिर्फ़ औरत हो तो शायद उसके हिस्से का अज़ाब कट जाए, लेकिन वो औरत के साथ मुसलमान भी हो तो अपने अज़ाब के साथ कटती ही नहीं, मरती है और मरती रहती है.

कोठे की श्रृंखला तोड़ने वाली मां के नाम…

संस्मरण: मां जब छोटी थी तभी उनकी शादी करा दी गई. मां बड़ी हुईं तो उनकी सास ने उन्हें कोलकाता के एक कोठे पर बिठा दिया. सास और उनके बेटे का धंधा छोटी लड़कियों को ब्याह कर सोनागाछी में बेचने का था.

हरियाणा में दो हफ़्तों के दौरान ऑनर किलिंग के चार मामलों में चार की हत्या

हरियाणा के जींद, महेंद्रगढ़, सोनीपत और झज्जर ज़िलों में हुई वारदात. चार अलग-अलग घटनाओं में दो युवक और दो युवतियों की हत्या कर दी गई.

हम भी भारत, एपिसोड 22: राजस्थान सरकार ने वापस लिया विवादित विधेयक

हम भी भारत की 22वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी राजस्थान सरकार के विवादास्पद ‘दंड विधियां संशोधन विधेयक’ को वापस लेने और समाज में मीडिया की भूमिका पर चर्चा कर रही हैं.

‘देश में राष्ट्रवाद के नाम पर नशा बांटा जा रहा है’

वीडियो: देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं और बयानबाज़ी पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह की बातचीत.

हम भी भारत, एपिसोड 20: अंकित सक्सेना- प्रेम, हत्या और सांप्रदायिकता 

हम भी भारत की 20वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी दिल्ली में अंकित सक्सेना की हत्या को राजनीतिक रंग दिए जाने पर चर्चा कर रही हैं.

बजट किसानों को चकमा देने के लिए होगा, वादे लबालब और नतीजे ठनठन

आपके मुल्क में अक्टूबर से लेकर आधी जनवरी तक एक फिल्म को लेकर बहस हुई है. साढ़े तीन महीने बहस चली. नौकरी पर इतनी लंबी बहस हुई? बेहतर है आप भी सैलरी की नौकरी छोड़ हिंदू-मुस्लिम डिबेट की नौकरी कर लीजिए.

जौहर महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव वाली प्रथा नहीं बल्कि प्रतिरोध का रूप था: आरएसएस नेता

आईआईएमसी में स्त्री शक्ति पर आयोजित एक संगोष्ठी में आरएसएस नेता कृष्ण गोपाल ने कहा कि जौहर-शाखा की परंपरा का हिस्सा थी जिसमें महिलाएं विदेशी आक्रमणकारियों के हरम का हिस्सा बनने की बजाय क़ुर्बान हो जाना पसंद करती थीं.

युवाओं को सपने देखने दें, उन्हें उनका हक़ दें: प्रियंका चोपड़ा

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि शिक्षित होना और सशक्त होना अलग-अलग बाते हैं. सशक्त व्यक्ति ग़लत मान्यताओं और परंपराओं के ख़िलाफ़ खड़ा होना जानता है.

संस्कृति का बखान करने वाले आधी आबादी के मुद्दों पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं?

यह कैसा समाज है जहां जीवित इंसान की कोई कीमत नहीं पर मृत व्यक्ति के सम्मान की रक्षा के नाम पर लोग सड़क पर उतर आते हैं, तोड़-फोड़ करते हैं, यहां तक कि हिंसा करने से भी नहीं चूकते.

कम से कम हमारे हिंदुस्तान में तो ऐसा कुछ नहीं होता…

अफ़राज़ुल हत्याकांड: ये तीन लोगों की कहानी है. भगवान, अल्लाह, गॉड, इलाही जिसको भी आप मानते हो, वो कहता है, साउंड, कैमरा, एक्शन और एक सीन शुरू होता है.

अफ़राज़ुल की हत्या हमारे सामाजिक पतन की दास्तान है

सिर्फ ये कहना कि ये किसी पार्टी विशेष की सरकार के कारण हुआ, समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना है. सरकार की ज़िम्मेदारी है पर यह समझना भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद अपने घरों में क्या बात कर रहे हैं.