मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.
साक्षात्कार: ‘ये वो मंज़िल तो नहीं’, ‘धारावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्में बनाने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक सुधीर मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
जन गण मन की बात की 232वीं कड़ी में विनोद दुआ नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में आसाराम को मिली उम्रक़ैद की सज़ा पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 231वीं कड़ी में विनोद दुआ देश में बेरोज़गारी और सांप्रदायिकता पर चर्चा कर रहे हैं.
सांप्रदायिकता से इसलिए मत लड़िए कि कांग्रेस-बीजेपी करना है. ये पार्टियां या तो चुप रहकर सांप्रदायिकता करती हैं या फिर खुलेआम. इनके आने-जाने से यह लड़ाई कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है.
भारत की मिथकीय कल्पना एक शाकाहारी समाज के तौर पर की जाती रही है, लेकिन किसी भी सामाजिक समूह के खान-पान या आहार की आदतों से जुड़ा कोई दावा पूरी तरह सही नहीं हो सकता.
अमृतसर के गोबिंदगढ़ क़िले में इतिहास की निशानियां सुरक्षित रहनी चाहिए, लेकिन पुरातात्विक विभाग को इमारत का ज़िम्मा देने के बजाय पंजाब सरकार ने बॉलीवुड अभिनेत्री दीपा साही को इसे वर्चुअल रियलिटी थीम पार्क में बदलने की ज़िम्मेदारी सौंपी है.
औरत सिर्फ़ औरत हो तो शायद उसके हिस्से का अज़ाब कट जाए, लेकिन वो औरत के साथ मुसलमान भी हो तो अपने अज़ाब के साथ कटती ही नहीं, मरती है और मरती रहती है.
संस्मरण: मां जब छोटी थी तभी उनकी शादी करा दी गई. मां बड़ी हुईं तो उनकी सास ने उन्हें कोलकाता के एक कोठे पर बिठा दिया. सास और उनके बेटे का धंधा छोटी लड़कियों को ब्याह कर सोनागाछी में बेचने का था.
बेस्ट ऑफ 2018: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत दी गई पात्रता शर्तें इसका उद्देश्य पूरा करने की राह में रोड़ा हैं.
हरियाणा के जींद, महेंद्रगढ़, सोनीपत और झज्जर ज़िलों में हुई वारदात. चार अलग-अलग घटनाओं में दो युवक और दो युवतियों की हत्या कर दी गई.
हम भी भारत की 22वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी राजस्थान सरकार के विवादास्पद ‘दंड विधियां संशोधन विधेयक’ को वापस लेने और समाज में मीडिया की भूमिका पर चर्चा कर रही हैं.
वीडियो: देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं और बयानबाज़ी पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के कार्यकारी संपादक बृजेश सिंह की बातचीत.
हम भी भारत की 20वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी दिल्ली में अंकित सक्सेना की हत्या को राजनीतिक रंग दिए जाने पर चर्चा कर रही हैं.
जिस समाज में प्रेम के ख़िलाफ़ इतने सारे तर्क हों, उस समाज को अंकित की हत्या पर कोई शोक नहीं है, वह फ़ायदे की तलाश में है.