वीडियो: प्रवासी श्रमिकों के संकट के कवरेज के लिए 27 मई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष फोटो और वीडियो पत्रकारों के खिलाफ भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की टिप्पणी की ऑल इंडिया वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन ने आलोचना की है. इस पर चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
फैक्ट चेक: सुप्रीम कोर्ट में 28 मई को प्रवासी मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए क़दमों का ब्योरा देते समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक पुरानी घटना का ज़िक्र करते हुए ऐसा इशारा किया था कि मज़दूरों की परेशानियों को दिखाते लोग गिद्धों की तरह हैं. पड़ताल बताती है कि यह घटना असल में हुई ही नहीं, यह एक झूठा वॉट्सऐप मैसेज है.
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेताओं के नफ़रत भरे भाषण देने पर एफआईआर दर्ज करवाने के लिए याचिका लगाई गई है. इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंदर के एक पुराने भाषण के अंश का हवाला देते हुए उसे हिंसा भड़काने वाला कहा है.
पीठ के सामने ये सवाल था कि सरकार द्वारा सरकारी खजाने में जमा कराए गए मुआवजे को 'मुआवजा अदा किया गया' माना जाएगा या नहीं. इसे लेकर कोर्ट को भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 की धारा 24(2) की व्याख्या करनी थी.
बीते 27 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने भाजपा नेताओं व अन्य के नफरती भाषणों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई को 13 अप्रैल तक स्थगित कर दिया था.
एनआरसी के राज्य संयोजक हितेश देव शर्मा ने बताया कि बड़े पैमाने पर डेटा सेव करने के लिए आईटी कंपनी विप्रो ने क्लाउड सेवा मुहैया कराई थी, जिससे अनुबंध का नवीनीकरण न हो पाने के चलते एनआरसी का डेटा ऑफलाइन हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता के नाम एनआरसी की सूची में हैं, लेकिन उनके नहीं, उन्हें डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा. शीर्ष अदालत ने नए एनआरसी समन्यवयक के कथित सांप्रदायिक बयानों पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कृपया अपनी सरकार को सबरीमाला मामले में सुनाए गए असहमति के फैसले को पढ़ने के लिए कहें, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है.....हमारा फैसला खेलने के लिए नहीं है.
कई किसान संगठनों और व्यक्तियों ने भूमि अधिग्रहण क़ानून के प्रावधानों को चुनौती देने संबंधी मामले की सुनवाई में जस्टिस अरुण मिश्रा के शामिल होने पर आपत्ति जताई है. उनकी दलील है कि जस्टिस मिश्रा पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुनाए गए फैसले में पहले ही अपनी राय रख चुके हैं.
गोवा से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट कहा कि अधिकारी सिर्फ़ इस वजह से गोवा को बर्बाद नहीं कर सकते कि वहां राष्ट्रीय औसत से अधिक वन क्षेत्र है.
एक्सक्लूसिव: सीजेआई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही समिति में एक बाहरी सदस्य शामिल करने की मांग करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को पत्र लिखा था. इस पर केंद्र सरकार द्वारा उन्हें स्पष्टीकरण देने को कहा गया कि ये उनकी 'निजी राय' है न कि केंद्र की.
चुनावी ड्यूटी में केंद्रीय सशस्त्र बलों की भूमिका को देखते हुए दो सप्ताह तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का कार्य रोकने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से अपील की गई थी.