2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश से सक्रिय राजनीति में क़दम रखा था, तब भले ही वे कोई कमाल नहीं दिखा सकीं, पर उसके बाद से राज्य में उनकी सक्रियता चर्चा में रही. विपक्ष के तौर पर एकमात्र प्रियंका ही थीं जो प्रदेश में हुई लगभग हर अवांछित घटना को लेकर योगी सरकार को घेरती नज़र आईं.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में जुलाई 2019 में जमीनों पर कथित अवैध कब्जे के खिलाफ जब आदिवासियों और ग्रामीणों ने आवाज उठायी थी, तब भूमाफियाओं के साथ हुए खूनी संघर्ष में 11 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में सोनभद्र पुलिस ने 65 लोगों को गिरफ्तार किया था और 51 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के उम्भा गांव में हुए 11 आदिवासियों के नरसंहार पर पुलिस ने स्थानीय अदालत में 51 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: बीते 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में जमीन पर कब्जे को लेकर हुए खूनी संघर्ष में 10 आदिवासी किसानों की हत्या कर दी गई थी, जबकि 28 अन्य घायल हो गए थे. इस मामले में ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त मुख्य आरोपी हैं.
वीडियो: बीते 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश में सोनभद्र ज़िले के उम्भा गांव में 90 बीघा जमीन पर क़ब्ज़े को लेकर हुए खूनी संघर्ष में 10 आदिवासी किसानों की मौत हो गई थी. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की उम्भा गांव के मृतक आदिवासियों के परिजनों से बातचीत.
अपर ज़िलाधिकारी ने बताया कि उम्भा गांव की उक्त विवादित भूमि से संबंधित 1955 के रिकॉर्ड नष्ट किए जा चुके हैं. एक निर्धारित अवधि के बाद कुछ रिकॉर्ड नियमानुसार नष्ट कर दिए जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उनके रखने के लिए स्थान की समस्या हो जाती है.
वीडियो: ज़मीन विवाद में सोनभद्र में हुए हत्याकांड पर मीडिया का रुख और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का समझौता विस्फोट मामले को लेकर दिए गए बयान पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और वरिष्ठ पत्रकार आरती जेरथ से चर्चा कर रहे वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.