सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंज़ूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है, वे वैध हैं.
2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.
हाल ही में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट एवं ज़िला न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे बेल देने पर जोर दें, न कि जेल भेजने में. सवाल ये है कि क्या ख़ुद शीर्ष अदालत हर एक नागरिक पर ये सिद्धांत लागू करता है या फिर रसूख वाले और सत्ता के क़रीबी लोगों को ही इसका लाभ मिल पा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी 1987 में एक शख़्स की हत्या के लिए उम्रक़ैद की सजा पाए व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह देखते हुए भी मामले की सुनवाई की कि व्यक्ति का प्रतिनिधित्व कोई वकील नहीं कर रहा था और निचली अदालत के नज़रिये की पुष्टि कर दी. हाईकोर्ट ने सज़ा के ख़िलाफ़ उसकी अपील ख़ारिज कर दी थी.
बीते रविवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करने को मंज़ूरी दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर रिट याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद ओली नीत सरकार को इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है.
साल 2013 में आसाराम के आश्रम में पढ़ रही शाहजहांपुर की एक नाबालिग लड़की ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था. अप्रैल 2018 में उन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. तब से आसाराम जेल में ही बंद हैं. शाहजहांपुर जेल में हुए कार्यक्रम को लेकर नाबालिग के पिता ने आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जैसा कार्य किया, उससे निश्चित तौर पर कहीं बेहतर किया जा सकता था. पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक न्याय का विचार ठंडे बस्ते में चला गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमें इसके साथ जीना होगा.
साल 2011 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे की अगुवाई में चले लोकपाल आंदोलन के बाद साल 2013 में इसे लेकर क़ानून बनाया गया था, लेकिन केंद्र समेत कई राज्यों में समय पर नियुक्ति न होने और फंड की कमी जैसे कारणों के चलते यह दयनीय स्थिति में है.
एक मामले में 462 दिन की देरी से दायर याचिका ख़ारिज कर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मक़सद सिर्फ़ मामले से यह कहकर छुटकारा पाना है कि अब इसमें कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपील ख़ारिज कर दी है.
आयकर विभाग के नोटिस को केंद्र सरकार की दबाव बनाने की रणनीति क़रार देते हुए हरियाणा के बाकी आढ़तिये पानीपत संगठन प्रमुख के समर्थन में आ गए हैं. उनका आरोप है कि नोटिस इसलिए भेजा गया है, क्योंकि उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया है.
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां का कहना है कि सरकार आंदोलनकारी किसानों को डराने का प्रयास कर रही है. यह संगठन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन करने वाले सबसे बड़े कृषि संगठनों में से एक है.
बीते चार सप्ताह से चल रहे किसान आंदोलन के बीच 19 दिसंबर को आयकर विभाग ने पटियाला में आढ़तियों के यहां छापेमारी की थी. आढ़तियों का आरोप है कि यह छापेमारी राजनीति से प्रेरित है क्योंकि कई आढ़ती किसान आंदोलन को खुले तौर पर समर्थन दे रहे हैं.
कैलाश विजयवर्गीय समेत भाजपा के पांच नेताओं ने उनके ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल में दर्ज आपराधिक मामलों में अंतरिम संरक्षण प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था. भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनावों से संबंधित राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखने के लिए उन पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर आपराधिक मामले थोपे जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कोरोना वायरस का इलाज का ख़र्च आम जनता की सीमा से बाहर है. अगर कोई शख़्स संक्रमण से ठीक हो भी जाता है तो इलाज की लागत उसे ख़त्म कर देती है. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार है. यह राज्य का कर्तव्य है कि वह किफ़ायती इलाज के लिए प्रावधान बनाए.
दहेज हत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी की ज़िम्मेदारी होती है कि वो निष्पक्ष जांच करे, लेकिन ये काम पूरी ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण मीडिया में कई जानकारियां चुनिंदा तरीके से लीक कर दी जाती हैं.