बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड में चार पुलिसकर्मियों और दो डाक्टरों को सजा सुनाने के खिलाफ की गई अपील सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है.
दिल्ली बार काउंसिल ने आप विधायक और सुप्रीम कोर्ट के वक़ील फुलका के लाभ के पद पर होने की बात कहते हुए उन्हें कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य के ख़िलाफ़ कई मामलों में पीड़ितों की ओर से अदालत में पेश होने की इजाज़त नहीं दी थी.
पीठ ने सरकार और याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे प्रधान न्यायाधीश से आधार से जुड़े मुद्दों पर फैसला करने के लिए संवैधानिक पीठ का गठन करने का आग्रह करें.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को ग़लत ठहराया जहां उसने फर्ज़ी सर्टिफिकेट के आधार पर व्यक्ति को नौकरी की लंबी अवधि के चलते सेवा में बने रहने की अनुमति की बात कही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने वैध कारणों के चलते अमान्य नोटों को जमा नहीं करा सके लोगों को मौका उपलब्ध कराने पर विचार के लिये केंद्र को दो सप्ताह का समय दिया.
डीयू के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को जमानत न दिए जाने को लेकर अरुंधति राय ने एक लेख लिखा था, जिसे लेकर उनपर बाम्बे हाईकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा था.
सत्तारूढ़ आवामी लीग सरकार का कहना है कि इस फैसले से संप्रभु संसद की शक्तियां कम हो सकती हैं.
जस्टिस कर्णन ने ज़मानत और सज़ा संबंधी याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए मौखिक आवेदन किया था, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.
‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’
राज्य सरकार ने सवाल उठाया है कि बाढ़ में जनहानि होने पर क्या प्रभावित व्यक्ति इन नदियों के अभिभावक बनाए गए अधिकारी के ख़िलाफ़ नुकसान के लिये मुकदमा दर्ज करा सकता है या ऐसे वित्तीय बोझ को उठाने के लिये राज्य सरकार ज़िम्मेदार होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार के अभाव में कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कोई भी व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है. हम सिर्फ आशंका पर रोक नहीं लगा सकते हैं.
राजग से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने 2012 में भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के बचाव में गवाही दी थी.
श्रीलंकाई नागरिक रॉबर्ट पायस ने सरकार को लिखा- जब रिहाई की संभावना नहीं, तो ज़िंदा रहने का क्या मतलब है. 11 जून को पायस को जेल में कैद रहते हुए 26 साल हो गए हैं.
अब तक तीन तलाक़, हलाला, मुता निक़ाह जैसी कुप्रथाएं चली आ रही हैं. उनके ख़िलाफ़ आपने कभी आवाज़ नहीं उठाई. जब प्रताड़ित मुस्लिम औरतें ख़ुद बाहर निकलीं तो सेक्युलरिज़्म याद आ रहा है!