अस्थायी पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी जवाब मांगा है. उक्त याचिका में विशेष रूप से यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार का मामला उठाया गया है, जिनके बारे में कहा गया है कि उन्हें वरिष्ठता सूची में 19वें नंबर पर होने के बावजूद पुलिस प्रमुख बनाया गया था.
चुनाव के दौरान ‘फ्रीबीज़’ के वादे के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में मांग की गई है कि निर्वाचन आयोग को चुनाव पूर्व अवधि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ़्त सौगात का वादा करने से रोकने के लिए प्रभावी क़दम उठाने का निर्देश दिया जाए.
उत्तर प्रदेश की कुछ परियोजनाओं से जुड़ी जनहित याचिकाओं को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में एक रेल परियोजना पर रोक लगाने का निर्देश भी दिया. कोर्ट का कहना था कि 2022 के आदेश के अनुसार, रेल विकास निगम लिमिटेड ने 50,000 से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य पूरा नहीं किया.
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में सितंबर 2020 से जेल में हैं. ख़ालिद की ज़मानत याचिका जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ के समक्ष 7 अक्टूबर को नए सिरे से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी, लेकिन पीठ सुनवाई के लिए नहीं बैठी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र प्रवासी श्रमिकों के राशन कार्ड सत्यापित कर उन्हें देने के अपने पिछले आदेशों का पालन करने का आख़िरी मौक़ा दिया है. इससे पहले भी कोर्ट ने कई बार इन आदेशों का पालन न करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार भी लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को मोदी सरकार की बेनामी राजनीतिक फंडिंग वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. अब इस फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड को देखते हुए निर्णय में कोई त्रुटि नहीं दिखती.
एक पत्रकार द्वारा यूपी में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग पर याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि किसी पत्रकार के लिखे हुए को सरकार की आलोचना माना जा रहा है, उसके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज नहीं किए जाने चाहिए.
चुनाव 27 सितंबर को हुआ था. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी. वहीं, आम आदमी पार्टी ने यह आरोप लगाते हुए चुनाव का बहिष्कार किया था कि इसकी प्रक्रिया दिल्ली नगर निगम अधिनियम के बिल्कुल उलट है.
तिरुपति के प्रसाद में कथित तौर पर मिलावटी घी के इस्तेमाल के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक की निगरानी में एसआईटी गठित की है. इसमें दो सीबीआई अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस अधिकारी और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी शामिल होंगे.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवाह में पति-पत्नी के बीच उचित यौन संबंध बनाने की निरंतर अपेक्षा होती है. इसलिए, विवाह को अन्य स्थितियों से अलग माना जाना चाहिए. इसे अपराध घोषित करना बहुत कठोर क़दम है.
शीर्ष अदालत एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी 42 और 39 वर्ष की दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन में रहने के लिए 'ब्रेनवॉश' किया गया है.
शीर्ष अदालत द वायर की पत्रकार सुकन्या शांता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपनी पड़ताल के आधार पर बताया है कि कई राज्यों के जेल मैनुअल जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा देते हैं, जहां जेलों के अंदर काम के आवंटन में भेदभाव किया जाता है.
'बुलडोज़र कार्रवाई' के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में दिशानिर्देश तय होने तक ऐसी कार्रवाइयों पर उसके पिछले आदेश के अनुसार रोक जारी रहेगी.
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल में तिरुपति के प्रसाद के लड्डुओं में पशु चर्बी युक्त मिलावटी घी इस्तेमाल हुआ था. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस स्तर पर यह दिखाने का कोई ठोस सबूत नहीं है कि प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था.
यह मामला उत्तर प्रदेश के एक दिहाड़ी मज़दूर के बेटे का है. आईआईटी धनबाद के इस छात्र को एडमिशन के लिए 17,500 रुपये फीस देनी थी, जो उन्होंने किसी तरह एकत्र तो की, लेकिन शुल्क जमा करने की आख़िरी तिथि पर भुगतान करने में कुछ समय से चूक गए.