छत्तीसगढ़: आदिवासियों के लिए न्याय पाने की राह इतनी मुश्किल क्यों है

मार्च 2011 में सुकमा ज़िले के तीन गांवों में आदिवासियों के घरों में आग लगाई गई थी. पांच महिलाओं से बलात्कार हुआ और तीन ग्रामीणों की हत्या हुई थी. इसका आरोप पुलिस पर लगा था. सीबीआई की एक रिपोर्ट में भी विवादित पुलिस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी और पुलिस को ज़िम्मेदार बताया गया था, लेकिन हाल ही में विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट बताती है कि मामले में पुलिस को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया.

ट्विटर ने स्वामी अग्निवेश के निधन पर किए गए पूर्व सीबीआई निदेशक के आपत्तिजनक ट्वीट को हटाया

सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक और पूर्व आईपीएस अधिकारी एम. नागेश्वर राव ने 80 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के निधन पर ट्वीट कर कहा था कि अच्छा हुआ छुटकारा मिला. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें यमराज से शिकायत है कि उन्होंने इतना लंबा इंतज़ार क्यों किया!

स्वामी अग्निवेश: आधुनिक आध्यात्मिकता का खोजी

स्वामी अग्निवेश गांधी की परंपरा के हिंदू थे, जो मुसलमान, सिख, ईसाई या आदिवासी को अपने रंग में ढालना नहीं चाहता और उनके लिए अपना खून बहाने को तत्पर खड़ा मिलता है. वे मुसलमानों और ईसाइयों के सच्चे मित्र थे और इसीलिए खरे हिंदू थे.

सामाजिक कार्य​कर्ता स्वामी अग्निवेश का निधन

स्वामी अग्निवेश लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे और बीते कुछ दिनों से काफी बीमार थे. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. बीते मंगलवार से वह वेंटिलेटर पर थे.

जब मेरे ऊपर हमला हुआ था तब क्यों चुप थी बीजेपी और मीडिया: स्वामी अग्निवेश

वीडियो: बीते दिनों महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ ने चोरी के शक में दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. इस मामले को लेकर स्वामी अग्निवेश ने सवाल उठाया कि जब उन पर हमला हुआ था तब सरकार और मीडिया कहां थी. उनसे आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

अब पराया लगता है यह देश

हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.

मीडिया बोल, एपिसोड 59: नफ़रत की सियासत, चैनल बने प्रचारक

मीडिया बोल की 59वीं कड़ी में उर्मिलेश एक समाचार चैनल की बहस में हुई हाथापाई, स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले और अविश्वास प्रस्ताव की मीडिया कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार शीबा असलम फ़हमी से चर्चा कर रहे हैं.

पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं के बारे में केंद्र के पास नहीं है कोई आंकड़ा: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर का कहना है कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखना और जान माल की रक्षा राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है. मॉब लिंचिंग के संबंध में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो कोई आंकड़े नहीं रखता है.

मोतिहारी चीनी मिल: आत्मदाह का एक साल बीता, उम्मीदों में पथराई आंखें

ग्राउंड रिपोर्ट: पिछले साल 10 अप्रैल को बिहार के पूर्वी चंपारन जिला मुख्यालय मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल के दो मजदूरों ने सैलरी और किसानों के बकाया भुगतान के मुद्दे पर आत्मदाह कर लिया था.

बिहार: चंपारन से निलहे चले गए मिलहे आ गए

बिहार के पूर्वी चंपारन जिला मुख्यालय मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल के मजदूर करीब 134 महीने की सैलरी और किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.