भारत टीबी उन्मूलन के लिए मोदी सरकार द्वारा तय की गई समय सीमा से चूकने वाला है

मोदी सरकार ने देश में टीबी उन्मूलन के लिए साल 2025 का लक्ष्य तय किया है, हालांकि ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2024 संकेत देती है कि यह संभव नहीं होगा. दुनिया भर में टीबी के कुल मामलों में से 26% भारत में हैं. वर्तमान में देश में अनुमानित 20 लाख टीबी केस हैं, जो विश्व में सर्वाधिक हैं.

देश में टीबी की दवाओं की किल्लत न होने का सरकार का दावा कितना सही है?

वीडियो: पिछले कुछ समय से टीबी रोग के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं की कमी संबंधी ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं. इस रोग से जूझ रहे मरीज़ों के परिजनों का कहना है कि किल्लत के चलते दवाएं प्राप्त करने में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, केंद्र सरकार का दावा है कि दवाओं के किल्लत की ख़बरें भ्रामक हैं.

टीबी की दवाओं की कमी को लेकर 113 वैश्विक निकायों ने प्रधानमंत्री से फ़ौरन हस्तक्षेप की मांग की

टीबी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कमी से संबंधित ख़बरों को लेकर दुनियाभर के 113 नागरिक समाज संगठनों और 776 व्यक्तियों ने पत्र लिखकर भारत के प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

सरकार का टीबी दवाओं की कमी से इनकार, सिविल समूह बोले- यह पीड़ितों के संघर्ष की उपेक्षा है

टीबी रोग के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं की कमी संबंधी ख़बरों के सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान जारी करके इन्हें भ्रामक क़रार दिया है. इसकी आलोचना करते हुए सिविल सोसायटी समूहों ने कहा है कि उनके पास टीबी की दवाएं प्राप्त करने में कठिनाइयों से जूझ रहे रोगियों, रिश्तेदारों और डॉक्टरों की अपीलों की बाढ़ आ गई है.

एनएचआरसी ने गुजरात सरकार से कहा- हर छह माह पर क़ैदियों की टीबी व एड्स की जांच कराएं

एक मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में सूरत के एक केंद्रीय कारागार में कई क़ैदियों को टीबी होने की जानकारी सामने आने के बाद एनएचआरसी के एक दल ने जेल का दौरा किया था. बताया गया था कि जेल में उचित चिकित्सा के अभाव में 21 साल के एक विचाराधीन क़ैदी की 15 जुलाई 2020 को टीबी से मौत हो गई थी. अप्रैल 2019 में  जेल में आने के वक़्त यह व्यक्ति स्वस्थ था.