त्रिपुरा में 10 हज़ार से अधिक स्कूली शिक्षकों को 2017 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद नौकरी से हटा दिया गया था, वे लगभग दो महीने से राजधानी अगरतला में आमरण अनशन कर रहे हैं.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने 15 महीनों के कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों में रहे हैं. फैकल्टी सदस्य और विद्यार्थी उन पर अनियमितता, मनमाने निर्णयों और शिक्षकों के साथ बदसलूकी के आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं.
2014 में त्रिपुरा हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 से विभिन्न चरणों में नियुक्त हुए 10,323 स्कूली शिक्षकों को भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के चलते बर्ख़ास्त कर दिया था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा. नौकरी खोने वाले शिक्षकों के संगठन क़रीब एक महीने से अगरतला में अनिश्चितकालीन धरने पर हैं.
बेरोज़गार बीएड शिक्षकों के संघ ने एकजुट होकर यूनाइटेड टीचर्स यूनियन नाम के संगठन का गठन किया है. इनका कहना है कि पंजाब में 35,000 से अधिक बेरोज़गार टीईटी-पास बीएड शिक्षक हैं. सरकार ने उन्हें न तो नौकरी दी और न ही बेरोज़गारी भत्ता.