सपा और बसपा ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल ग़रीबों के कल्याण के लिए किया जा सकता था.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.
जन गण मन की बात की 201वीं कड़ी में विनोद दुआ दवा की अनाप-शनाप कीमतों से मुनाफ़ा कमाते निजी अस्पतालों पर चर्चा कर रहे हैं.
गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा कि भाजपा की सीटें घटीं क्योंकि तीन तलाक़ बिल के विरोधियों ने पार्टी को वोट नहीं दिया. कांग्रेस विधायक ने कहा, अच्छे डायलॉग से फिल्में चलती हैं, देश चलाने के लिए सार्थक योजनाएं चाहिए.
आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.
जन गण मन की बात की 200वीं कड़ी में विनोद दुआ दिल्ली सरकार और मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के बीच हुए विवाद पर चर्चा कर रहे हैं.
टीएमसी प्रमुख ने दावा किया कि पीएनबी घोटाले की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए लोगों की जेब से पैसा लिया जा रहा है.
छात्रों ने थाने में शिक़ायत दर्ज करवाते हुए कहा कि नाटक में गोडसे का महिमामंडन और महात्मा गांधी का अपमान किया गया है.
अदालत ने कहा कि अभियोजन का केस क्या है, यही अब तक स्पष्ट नहीं है. साथ ही सीबीआई बरी किए गए लोगों के ख़िलाफ़ साक्ष्य पेश करने में भी विफल रही है.
जन गण मन की बात की 199वीं कड़ी में विनोद दुआ नीरव मोदी और पीएनबी घोटाले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
हम भी भारत की 22वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी राजस्थान सरकार के विवादास्पद ‘दंड विधियां संशोधन विधेयक’ को वापस लेने और समाज में मीडिया की भूमिका पर चर्चा कर रही हैं.
सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इशरत जहां समेत तीन अन्य लोगों के अपहरण और हत्या के आरोप में पांडे के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं हैं.
पिछली सरकारों में व्यवस्था को अपने फ़ायदे के लिए तोड़ने-मरोड़ने वाले पूंजीपति मोदी सरकार में भी फल-फूल रहे हैं.
देश के झंडे को भी क्यों सांप्रदायिक आधार पर बांटा जा रहा है? क्या हम लड़ते-लड़ते इतने दूर आ गए हैं कि देश के झंडे का भी बंटवारा कर देंगे?
यदि सरकारों ने बच्चों की प्रारंभिक देखरेख और सुरक्षा पर ध्यान दिया होता, तो आज राखी, मीनू और सीता ज़िंदा होतीं.