महाकुंभ: जुलाहे की बुनी फाड़ने की कोशिशें हो सकती हैं, पर रेशों को अलग नहीं किया जा सकता

कुंभों और महाकुंभों की लंबी परंपरा में कभी इलाहाबादी कुंभ यात्रियों या कुंभयात्री इलाहाबादियों की किसी भी तरह की असुविधा के हेतु नहीं बने. उन्होंने हमेशा, और इस बार विशेषकर मुस्लिम समुदाय ने परस्पर सत्कार व सहकार की भावना बनाए रखी.

तिनका भर संसार: अठारह समकालीन हिंदी कवि

रुस्तम सिंह अपने सहकर्मियों के रचना-संसार पर गहरी निगाह रखते हैं और उनकी उपलब्धियों को सार्वजनिक रूप से दर्ज करते हैं. हाल ही में उन्होंने हिंदी के अठारह समकालीन कवियों का संकलन तैयार किया है. यहां प्रस्तुत है, उस संकलन का प्राक्कथन और कुछ चुनिंदा कविताएं. 

दिल्ली चुनाव: मतदान से कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी के 8 विधायकों का इस्तीफ़ा, भाजपा में हुए शामिल

इन सभी विधायकों ने आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. इनका आरोप है कि पार्टी केंद्रीकृत, अपारदर्शी हो गई है और इसमें आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है.

ज़किया जाफ़री: प्रतिरोध का स्वर जो कभी थका नहीं

ज़किया जाफ़री ने अपनी ज़िंदगी के पिछले 22 साल इंसाफ़ की जद्दोजहद में झोंक दिए. हर कदम पर भारत के ताकतवर निज़ाम की तरफ़ से रुकावट और मुख़ालिफ़त के बावजूद उन्होंने इंसाफ़ की अपनी टेक नहीं छोड़ी.

महाकुंभ में मौत: कई जगहों पर हुई थी भगदड़, सरकारी आंकड़े पर उठे सवाल

ढाई हज़ार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी का दावा करने वाला प्रशासन भगदड़ रोकने में असफल क्यों हुआ? झूंसी इलाके में हुई भगदड़ की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं थी? अगर जानकारी नहीं थी, तो बिखरे कपड़ों, चप्पलों और अन्य चीजों को बड़े ट्रकों में किसके आदेश पर हटवाया जा रहा था?

क्या लगातार हमलों और क्षति के बाद संवैधानिक राष्ट्र बच पाएगा?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस क़दर लुच्चई-लफंगई-टुच्चई-दबंगई दृश्य पर छा गई हैं कि लगता है भद्रता और सिविल समाज जैसे ग़ायब या पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए हैं.

केंद्र सरकार का 2025-26 बजट: मध्यम वर्ग को आयकर राहत, बिहार के लिए विशेष घोषणाएं

केंद्र सरकार ने 2025-26 का बजट पेश किया, जिसमें मध्यम वर्ग के लिए आयकर राहत का ऐलान किया गया. अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके अलावा, बिहार के लिए मखाना बोर्ड, खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान और आईआईटी पटना के विस्तार जैसी विशेष घोषणाएं की गई हैं.

महाकुंभ और मुसलमान: इलाहाबादियत और इंसानियत का परचम

कहते हैं कि जब कोई गंगा स्नान करके घर आता है तो उसके पैरों में लगकर गंगा की माटी भी उन लोगों के लिए चली आती है जो गंगा तक नहीं जा पाए. महाकुंभ में भगदड़ की रात जब तमाम श्रद्धालु मेला क्षेत्र से निकलकर शहर में फंसें, तो जिन मुसलमानों को कुंभ में हिस्सा लेने से रोका गया, कुंभ ख़ुद ही उनके घरों, उनकी मस्ज़िदों में चला आया.

गुजरात दंगों की पीड़ित और न्याय के लिए आवाज़ उठाने वाली ज़किया जाफ़री का निधन

शनिवार को ज़किया जाफ़री का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए न्याय और दंगों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग अदालतों में क़ानूनी संघर्ष का लंबा सफर तय किया था. उनके पति और कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी दंगों में मारे गए थे.

आम बजट: मनरेगा बजट आवंटन लगातार तीसरी बार 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार भी अपने बजटीय भाषण में मनरेगा का कोई उल्लेख नहीं किया. इस बार भी योजना के लिए बजट में 86,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-2025 के संशोधित अनुमान के अनुसार योजना पर ख़र्च की गई राशि के बराबर है.

शंभू बॉर्डर पर एक और प्रदर्शनकारी किसान की मौत, अब तक मरने वालों की संख्या 36 हुई

शुक्रवार को शंभू बॉर्डर पर एक और प्रदर्शनकारी किसान परगट सिंह की मौत हो गई, वह अमृतसर के कक्कड़ गांव के रहने वाले थे. शंभू और खनौरी सीमा पर 13 फरवरी, 2024 को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक मरने वालों की संख्या 36 हो गई है.

‘एक देश एक चुनाव’ विधेयक पर एनडीए सहयोगी जदयू ने चिंता जताई

जदयू सांसद संजय कुमार झा ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग करते हुए सरकार से आग्रह किया है कि वह क़ानून लाने में जल्दबाज़ी न करें. जदयू ने विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है.

टुकड़ा नागरिक संहिता: सृष्टि का उत्सव मनाता लीलावान गद्य

पुस्तक समीक्षा: उदयन वाजपेयी की 'टुकड़ा नागरिक संहिता' के निबंधों में बंधी-बंधाई लीक नहीं है. अच्छे निबंध का सबसे ज़रूरी गुण है विचारों की बढ़त, जो पढ़नेवाले के दिमाग़ में भी होती रहती है. कोई बात निबंध में जहां से शुरू हुई है वहीं ख़त्म नहीं होती, पाठक के मन में बढ़ती बदलती रहती है.

अगर विपक्ष शासित राज्य में भगदड़ होती तो भाजपा राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही होती: अभिषेक बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने महाकुंभ भगदड़ के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उन पर योजना बनाने की बजाय प्रचार को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.

रचनाकार का समय: बदनाम गली मेँ लाला-रुख़

प्रचण्ड प्रवीर की यह कहानी आयरिश लेखक टॉमस मूर के प्रसिद्ध काव्य ‘लाला रूख’ (1817) और उस पर बनी हिन्दी फिल्म ‘लाला-रुख़’ (1958) के संदर्भ में लिखी गई है. प्रसिद्ध गायक तलत महमूद और अभिनेत्री श्यामा की मुख्य भूमिकाओं में अभिनीत यह फिल्म टॉमस मूर की कथा को कुछ बदलती है. प्रवीर की कहानी इस कथा में एक नया मोड़ जोडती है.

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