जेनेवा में हानिकारक रसायनों की आधिकारिक अंतररारष्ट्रीय सूची पर नियंत्रण रखने वाले संयुक्त राष्ट्र रॉटरडम कंवेंशन के पक्षकारों का 10वां सम्मेलन चल रहा है. इस कंवेंशन के एनेक्सचर-3 में हानिकारक रसायनों के तौर पर वर्गीकृत पदार्थों की सूची है और कंवेंशन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इनके व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है. इसमें क्राइसोटाइल एस्बेस्टस को शामिल किए जाने का विरोध करने वाले देशों में भारत भी शामिल है, जबकि इसके कैंसरकारक होने की बात किसी से छिपी नहीं है.
देश में कोविड-19 महामारी के शुरुआती दौर में आयुष मंत्रालय द्वारा जारी एक परामर्श में आर्सेनिकम एल्बम 30 C नाम की होम्योपैथिक दवा को दिन में तीन बार लेने की सलाह दी गई थी. लेकिन शोध बताते हैं कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता कि होम्योपैथी कोविड या किसी भी अन्य मर्ज़ के ख़िलाफ़ कोई सुरक्षा प्रदान करती है.
अमूमन वायरस का डीएनए ऐसा होता है कि अनेक वायरस बनाते समय उनके ब्लू-प्रिंट में कोई ग़लती नहीं होती, इसीलिए वे ज़्यादा स्थिर रहते हैं और ब्लू प्रिंट में आसानी से बदलाव नहीं आते. पर कोरोना वायरस का ब्लू-प्रिंट डीएनए नहीं आरएनए है. बावजूद इसके ये अपने ब्लू-प्रिंट में कुछ हद तक ग़लतियां रोकने में सक्षम है, इसी कारण से हम नहीं जानते कि अगर कोई एक वैक्सीन विकसित की जाए, तो वह सब तरह के कोविड-19 वायरस पर असर
चार्ल्स डार्विन ने 1859 में प्राकृतिक चयन पर अपनी किताब दुनिया के सामने पेश की थी, लेकिन उनसे कुछ साल पहले ही स्कॉटलैंड के पैट्रिक मैथ्यू इस सिद्धांत तक पहुंच चुके थे. इस बात को ख़ुद डार्विन ने भी माना था, पर इतिहास मैथ्यू को इसका उचित श्रेय नहीं दे सका.
पृथ्वी का जन्म लगभग 460 करोड़ साल पहले हुआ था और पृथ्वी पर जीवन का जन्म कम से कम 375 करोड़ साल पहले. अगर 460 करोड़ साल का यह प्रयोग दोहराया जाए, तो क्या हम मनुष्यों जैसे जीव धरती पर पाए जाएंगे या फिर जीवन की रचना की कहानी बिल्कुल अलग होगी?
विशेष रिपोर्ट: 150 साल से भी ज्यादा पुरानी यह कहानी चार्ल्स डार्विन, अल्फ्रेड वालेस और विलियम बेटसन की है. तीनों इंग्लैंड से हैं और 19वीं सदी के हीरो हैं.
सूचना के अधिकार के तहत रिलायंस एनर्जी का टैक्स बकाया होने की मिली जानकारी. कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कंपनी बेचने के लेन-देन को जांच होने तक रोके जाने की मांग की.
मिशन के लिए पूरे विश्व से कुल 2,429,807 आवेदन मिले हैं. इन नामों को एक माइक्रोचिप पर उकेरा जाएगा. ये चिप हमेशा के लिए मंगल पर रहेगा.