वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पांच सितंबर को बेंगलुरु स्थित उनके घर में कर दी गई थी.
निजता को मौलिक अधिकार मानने के सिद्धांत पर आधारित होने की बजाय आधार वास्तव में इसके विरोध में खड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रौशनी में आधार पर फिर से विचार किए जाने की ज़रूरत है.
जन गण मन की बात की 117वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 116वीं कड़ी में विनोद दुआ अमेरिका में दिए गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण और यूपी में किसानों की कर्ज़ माफी पर चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया बोल की उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल और पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ गौरी लंकेश की हत्या पर सियासत और उसके मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.
अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गाली-गलौज करने वाले ट्विटर हैंडल्स को फॉलो करने पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के चार दिन बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, कांग्रेस-भाजपा में छिड़ी तकरार, राज्य ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी.
आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान का कहना है, यूपीए सरकार भले ही अयोग्य रही हो, वह इन समूहों की विचारधारा से इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी, लेकिन वर्तमान सत्ता को इन्हीं समूहों से समर्थन मिलता है.
शब्द और विचार हर किस्म के कठमुल्लों को बहुत डराते हैं. विचारों से आतंकित लोगों ने अब शब्दों और विचारों के ख़िलाफ़ बंदूक उठा ली है.
जन गण मन की बात की 115वीं कड़ी में विनोद दुआ पत्रकारों की हत्या व उन पर हो रहे हमले और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब पर चर्चा कर रहे हैं.
वे हत्या के पक्ष में दलीलें देने लगे. वे हत्यारों को बधाइयां देने लगे. उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को सिर्फ जायज़ नहीं ठहराया. वे हत्या के बाद ठंडी पड़ चुकी उस लाश को गालियां देने लगे. जैसे वे उस पर और गोलियां चलाना चाहते हों.
मैंने आॅनलाइन जगत के एक हिस्से को गुंडा और हत्यारा ज़रूर कहा है. प्रधानमंत्री के लिए कभी ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है.
गौरी की हत्या एक चेतावनी है. हत्यारों को पता है कि वे सुरक्षित हैं. वे बेखौफ़ होकर अपना काम करते रहेंगे.
बीएचयू की छात्रा ने ‘समलैंगिक’ होने की बात नकारते हुए कहा कि उनकी कही बात का ग़लत अर्थ लेते हुए वॉर्डन ने बिना किसी लिखित आदेश के उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया.