निजता के अधिकार के लिए गंभीर खतरा है आधार

निजता को मौलिक अधिकार मानने के सिद्धांत पर आधारित होने की बजाय आधार वास्तव में इसके विरोध में खड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रौशनी में आधार पर फिर से विचार किए जाने की ज़रूरत है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 117: मोदी की टीम और गृहमंत्री का कश्मीर दौरा

जन गण मन की बात की 117वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे पर चर्चा कर रहे हैं.

जन गण मन की बात, एपिसोड 116: राहुल गांधी और किसानों की क़र्ज़ माफ़ी

जन गण मन की बात की 116वीं कड़ी में विनोद दुआ अमेरिका में दिए गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण और यूपी में किसानों की कर्ज़ माफी पर चर्चा कर रहे हैं.

मीडिया बोल, एपिसोड 14: पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या और सियासत

मीडिया बोल की उर्मिलेश, वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल और पत्रकार नेहा दीक्षित के साथ गौरी लंकेश की हत्या पर सियासत और उसके मीडिया कवरेज पर चर्चा कर रहे हैं.

हत्यारों की भीड़ इस देश की नुमाइंदगी नहीं करती

अंग्रेज़ी प्रभावशाली भाषा है, मगर इसकी पहुंच सीमित है. क्षेत्रीय भाषाओं के पत्रकार असली असर पैदा कर सकते हैं. छोटे शहरों के ऐसे कई साहसी पत्रकार हैं, जिन्होंने अपने साहस की क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई है.

क्या मोदी प्रधानमंत्री की जगह ट्रोल्स के सरदार बनते जा रहे हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गाली-गलौज करने वाले ट्विटर हैंडल्स को फॉलो करने पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

गौरी लंकेश मामले पर बोले एआर रहमान: यह मेरा भारत नहीं है

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के चार दिन बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, कांग्रेस-भाजपा में छिड़ी तकरार, राज्य ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी.

भाजपा ने देश में सांप्रदायिकता और नफ़रत का जिन्न छोड़ दिया है

आम आदमी पार्टी से जुड़े आशीष खेतान का कहना है, यूपीए सरकार भले ही अयोग्य रही हो, वह इन समूहों की विचारधारा से इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी, लेकिन वर्तमान सत्ता को इन्हीं समूहों से समर्थन मिलता है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 115: पत्रकारों की हत्या और रघुराम राजन

जन गण मन की बात की 115वीं कड़ी में विनोद दुआ पत्रकारों की हत्या व उन पर हो रहे हमले और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब पर चर्चा कर रहे हैं.

ये जो भक्त हैं, ये उन्हीं का वक़्त है

वे हत्या के पक्ष में दलीलें देने लगे. वे हत्यारों को बधाइयां देने लगे. उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या को सिर्फ जायज़ नहीं ठहराया. वे हत्या के बाद ठंडी पड़ चुकी उस लाश को गालियां देने लगे. जैसे वे उस पर और गोलियां चलाना चाहते हों.

गौरी लंकेश जैसी हत्याएं जारी रहेंगी क्योंकि हत्यारों को पता है कि उन्हें माफ़ कर दिया जाएगा

गौरी की हत्या एक चेतावनी है. हत्यारों को पता है कि वे सुरक्षित हैं. वे बेखौफ़ होकर अपना काम करते रहेंगे.

‘मैं समलैंगिक नहीं हूं, मुझे ग़लत समझा गया’

बीएचयू की छात्रा ने ‘समलैंगिक’ होने की बात नकारते हुए कहा कि उनकी कही बात का ग़लत अर्थ लेते हुए वॉर्डन ने बिना किसी लिखित आदेश के उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया.

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