इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, असम, नगालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
उत्तराखंड के जोखिमग्रस्त पारिस्थितिक क्षेत्रों में सड़कों, ख़ासकर राजमार्ग का निर्माण अनिवार्य तौर पर इस तरह से होना चाहिए कि ये भारत के लिए अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मारने वाले न साबित हों.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन की सीमा से सटे क़रीब 350 साल पुराने बौद्धमठ के प्रमुख ग्यांगबुंग रिनपोचे ने कहा कि चीन की सरकार धर्म में विश्वास ही नहीं करती है. जो किसी धर्म में विश्वास नहीं करते, वे अगला दलाई लामा कैसे तय कर सकते हैं. उत्तराधिकार राजनीति नहीं, धर्म और आस्था का मामला है. केवल वर्तमान दलाई लामा और उनके अनुयायियों को ही इस पर फ़ैसला करने का हक़ है.
भारतीय नेतृत्व के साथ बैठकों से पहले नागरिक संस्थाओं के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के सार्वजनिक कार्यक्रम में किसानों के प्रदर्शन, प्रेस की स्वतंत्रता, सीएए, अल्पसंख्यकों के अधिकार और चीन की आक्रमकता को लेकर चिंता व्यक्त की और अफगानिस्तान की स्थिति जैसे मुद्दे उठाए गए.
आध्यात्मिक नेता ने कहा, हमें लोगों को इस आधार पर लामबंद नहीं करना चाहिए कि हम बौद्ध हैं, हम हिंदू हैं, हम मुसलमान है. यह अच्छा नहीं है.
द वायर ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव पर पूर्व विदेश सचिव और चीन में भारतीय राजदूत रहीं निरूपमा राव से बातचीत की.
तिब्बत में चीन के बढ़ते अत्याचारों के ख़िलाफ़ तिब्बत यूथ कांग्रेस के सदस्यों ने नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की.
अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन अपना दावा जताता रहा है और जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन पर भारत का दावा है. ऐसे में तवांग और अक्साई चिन की अदला-बदली को लेकर बीते दिनों एक पूर्व शीर्ष चीनी वार्ताकार की टिप्पणी काफ़ी कुछ कहती है.