क्या ग़ैर हिंदुओं के बारे में न जानकर हिंदू सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं या दरिद्र

आज के भारत में ख़ासकर हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि वे ग़ैर हिंदुओं के धर्म, ग्रंथों, व्यक्तित्वों, उनके धार्मिक आचार-व्यवहार को जानें. मुसलमान, ईसाई, सिख या आदिवासी तो हिंदू धर्म के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं लेकिन हिंदू प्रायः इस मामले में सिफ़र होते हैं. बहुत से लोग मोहर्रम पर भी मुबारकबाद दे डालते हैं. ईस्टर और बड़ा दिन में क्या अंतर है? आदिवासी विश्वासों के बारे में तो हमें कुछ नहीं मालूम.

दूसरों के विचार स्वीकारने और सहिष्णु होने का मतलब अंध सहमति जताना नहीं होता: जस्टिस चंद्रचूड़

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसे रास्ते निकाले जाएं, जिनमें क़ानूनों को बेहतर और न्यायसंगत बनाने के लिए उन पर पुनर्विचार और उन्हें पुनर्भाषित किया जा सके.

धर्म के द्वेष को मिटाना इस वक़्त का सबसे ज़रूरी काम है…

सदियों से एक दूसरे के पड़ोस में रहने के बावजूद हिंदू-मुसलमान एक दूसरे के धार्मिक सिद्धांतों से अपरिचित रहे हैं. प्रेमचंद ने अपने एक नाटक की भूमिका में लिखा भी है कि 'कितने खेद और लज्जा की बात है कि कई शताब्दियों से मुसलमानों के साथ रहने पर भी अभी तक हम लोग प्रायः उनके इतिहास से अनभिज्ञ हैं. हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य का एक कारण यह है कि हम हिंदुओं को मुस्लिम महापुरुषों के सच्चरित्रों का ज्ञान नहीं.'

देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं: अमर्त्य सेन

कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान नोबेल सम्मानित अर्थशास्त्री ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका अक्सर विखंडन के ख़तरों की अनदेखी करती है, जो डराने वाला है. एक सुरक्षित भविष्य के लिए न्यायपालिका, विधायिका और नौकरशाही के बीच संतुलन होना ज़रूरी है, जो भारत में नदारद है. यह असामान्य है कि लोगों को सलाखों के पीछे डालने के लिए औपनिवेशिक क़ानूनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

क्या भारत में धार्मिक सहिष्णुता और घृणा साथ-साथ हैं?

वीडियो: हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर ने 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत के बीच 17 भाषाओं में लगभग 30,000 वयस्कों के साक्षात्कार पर आधारित एक अध्ययन जारी किया है. ‘भारत में धर्मः सहिष्णुता और अलगाव’ नाम के अध्ययन ने भारतीय समाज में धर्म की गतिशीलता में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान की है. इस विषय पर प्रो. अपूर्वानंद ने शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता के साथ बातचीत की.

‘भारत की राष्ट्रीयता किसी एक भाषा या एक धर्म पर आधारित नहीं है’

7 जून 2018 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय पर हुए समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिया गया पूरा भाषण.

पांच लाख डॉलर देकर भारत में असहिष्णुता कम करना चाहता है अमेरिका

अमेरिका ने कहा कि वह भारत में गैर सरकारी संगठनों को करीब 5 लाख डॉलर की मदद के जरिये वहां सामाजिक सहिष्णुता में वृद्धि करना चाहता है.

सेकुलर भारत की याद दिलाती है अमर अकबर एंथनी

एक अलग भारत और उसके केंद्रीय मूल्यों को याद कराने के लिए फिल्म अमर अकबर एंथनी बुरा विचार नहीं है. यह आज के नौजवानों को यह बतलाएगा कि भारत हमेशा से वैसा नहीं था, जैसा कि आज है.