सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी पुरुष स्कूल शिक्षक द्वारा कक्षा में नाबालिग छात्रा को फूल देना और उसे दूसरों के सामने इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर करना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न है और इसके लिए सख़्त दिशानिर्देश दिए गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.
जामिया नगर इलाके में दिसंबर 2019 में हुई हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
उन्नाव की एक अदालत ने हाल में सामूहिक बलात्कार मामले में एक आरोपी के पिता द्वारा दायर कथित धोखाधड़ी और जालसाज़ी की आपराधिक शिकायत पर पीड़िता के खिलाफ ग़ैर-ज़मानती वॉरंट जारी किया है. इस मामले में भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में उन्नाव में लड़की के अपहरण और बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. पीड़िता उस समय नाबालिग थी.
दिल्ली की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा से संबंधित मामले में शरजील इमाम को ज़मानत देते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उनका आवेदन को मंज़ूर किया जाता है कि उन्हें जांच के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया गया था.
सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने उनकी ज़मानत याचिका खारिज़ करने को चुनौती दी है. उनका कहना है कि उनके सभी सह आरोपियों को इस मामले में ज़मानत मिल चुकी है लेकिन वे अब भी बीते 20 महीने से जेल में हैं.
मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता की हत्या के मामले में बसपा विधायक के पति को मिली ज़मानत ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताक़तवर लोगों और न्याय तक पहुंच व संसाधनों से वंचित लोगों के लिए अलग-अलग समानांतर क़ानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती. ऐसी व्यवस्था क़ानून की वैधता को ही ख़त्म कर देगी.
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामलों में भले ही गवाहों की तरफ से सुरक्षा की मांग की गई हो या नहीं, उन्हें गवाह संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.