दिल्ली हाईकोर्ट एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने कहा है कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और मामले में आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में सुनवाई में देरी हुई है, क्योंकि केवल दो नामित एनआईए अदालतें हैं, जो ग़ैर-एनआईए मामलों के साथ ज़मानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं.