उडुपी के नेत्र ज्योति कॉलेज प्रबंधन को एक छात्रा से शिकायत मिली थी कि तीन साथी छात्राओं ने वॉशरूम में उसका वीडियो बनाया, जिसके बाद तीनों को निलंबित कर दिया गया. पुलिस ने इस घटना के सांप्रदायिक होने से इनकार किया था, लेकिन आरोपी छात्राओं के मुस्लिम होने के चलते भाजपा समेत दक्षिणपंथी संगठन इसे ‘जिहाद’ क़रार देने में लगे हुए हैं.
कर्नाटक के शिवमोगा से भाजपा विधायक केएस ईश्वरप्पा ने बीते अप्रैल में उडुपी के एक ठेकेदार की आत्महत्या के बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. पाटिल ने उन पर 40 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया था. इसके बाद ईश्वरप्पा के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया था.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब प्रतिबंध के निर्णय के प्रभावों पर अध्ययन किया है, जिसमें कई छात्राओं ने बताया है कि उन्हें कॉलेज बदलकर मुस्लिम संस्थानों में दाखिला लेना पड़ा, अन्य समुदाय के छात्रों के साथ बातचीत सीमित हो गई और उन्होंने अलगाव व अवसाद महसूस किया.
दोनों मुस्लिम छात्राओं की ओर से कहा गया है कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों घर लौट गईं.
कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत का कमीशन लेने का आरोप लगाने वाले एक ठेकेदार की मौत को लेकर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है. मृतक का परिवार और विपक्ष ईश्वरप्पा की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे हैं.
ठेकेदार संतोष पाटिल ने चार करोड़ रुपये की एक परियोजना में निवेश किया था. कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर आरोप है कि वे परियोजना से संबंधित भुगतान को मंजूरी देने के एवज में 40 प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे थे.
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार निर्देश दिया है. हर सरकारी कर्मचारी को नियम का पालन करना होगा. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से कुछ कार्रवाई करनी पड़ेगी. इससे पहले उडुपी में हिजाब की अनुमति नहीं देने पर 40 मुस्लिम छात्राओं ने प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा छोड़ी दी थी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ ‘प्रत्यक्ष भेदभाव’ का मामला है. कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली से एक वर्ग के भेदभाव, बहिष्कार और समग्र रूप से वंचित होने के अलावा किसी व्यक्ति के पवित्र धार्मिक विश्वास का गंभीर रूप से अतिक्रमण करता है. हाईकोर्ट ने बीते दिनों कक्षाओं में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी.
कर्नाटक के हिजाब को लेकर उपजे विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरक़रार रखा था. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि सभी को हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना होगा, अन्यथा उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह फैसला उस वीडियो के सामने आने के बाद लिया है, जिसमें जजों को कथित तौर पर धमकी दी गई थी. कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बीते दिनों राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरक़रार रखने वाला फैसला सुनाया था.
स्कूल की वर्दी या यूनिफॉर्म के पीछे का तर्क छात्रों में बराबरी की भावना स्थापित करना है. वह वर्दी विविधता को पूरी तरह समाप्त कर एकरूपता थोपने के लिए नहीं है. उस विविधता को पगड़ी, हिजाब, टीके, बिंदी व्यक्त करते हैं. क्या किसी की पगड़ी से किसी अन्य में असमानता की भावना या हीनभावना पैदा होती है? अगर नहीं तो किसी के हिजाब से क्यों होनी चाहिए?
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और उडुपी गवर्नमेंट पीयू कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के उपाध्यक्ष यशपाल सुवर्णा ने कहा कि लड़कियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे विद्यार्थी नहीं बल्कि आतंकवादी संगठन की सदस्य हैं. हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ बयान देकर वे विद्वान जजों की अवहेलना कर रही हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने 15 मार्च अपने फ़ैसले में यह कहते हुए कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरक़रार रखा, जिसमें उसने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को इस्लाम धर्म का हिस्सा न मानते हुए शिक्षण संस्थानों में इस पर प्रतिबंध को बरक़रार रखा है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामिक विद्वान व संगठनों ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा बताया, वहीं कुछ नेताओं ने चयन की स्वतंत्रता का सवाल उठाया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित ‘गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज’ की मुस्लिम छात्राओं की याचिकाएं ख़ारिज करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.